बिहार

टूटा हुआ पूल_कोसी नदी
May 15, 2025
फोटो निबंध: नीति निर्माण और स्थानीय संदर्भ-एक परस्पर संवाद की आवश्यकता
टिकाऊ और असरदार विकास योजनाएं तब बेहतर काम करती हैं जब वे ज़मीनी हकीकत, सामुदायिक भागीदारी और वास्तविक ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार की जायें।

बिहार के सुपौल जिले में कोसी नदी के पूर्वी तटबंध के भीतर बसे गांव हर साल बाढ़ की मार झेलते हैं। तटबंध यानी एक कृत्रिम दीवार, जिसका उपयोग बाढ़ को रोकने अथवा पानी की धारा को सीमित बनाए रखने के लिए किया जाता है। लेकिन जब तटबंध टूटता है तो एक साथ भारी मात्रा में […]

राहुल कुमार गौरव | 9 मिनट लंबा लेख
छतों पर सूखता महुआ_पारंपरिक भोजन
October 16, 2024
महुआ: जलवायु संकट में भी बचा रह गया एक पारंपरिक भोजन
जलवायु परिवर्तन ने लगभग हर जगह खाद्य विविधता और परंपरागत भोजन संस्कृतियों को खतरे में डाल दिया है लेकिन महुआ इतने पर भी बचा हुआ है।

बंगाल में 1770 के अकाल में महुआ ने कई लोगों की जान बचायी थी। एक रिकॉर्ड के अनुसार, 1873-74 में बिहार के खाद्य संकट में भी ये महुआ ही था जिसने यहां के बहुत लोगों को जीवित रखा था। पहले गांव के लोग 3-4 महीने, एक समय महुआ खाकर रहते थे। इसमें पौष्टिकता भरपूर होती […]

अनिल रेखा | 2 मिनट लंबा लेख
मधु मंसूरी हंसमुख की तस्वीर_आदिवासी कलाकार
September 3, 2024
आईडीआर इंटरव्यूज | मधु मंसूरी हंसमुख
पद्मश्री सम्मान से नवाजे जा चुके लोकगीत कलाकार मधु मंसूरी हंसमुख ने आईडीआर के साथ अपनी बातचीत में बताया कि कैसे छोटी सी उम्र से ही इन्होंने लोकगीत को अपना हथियार बनाकर झारखंड आंदोलन को एक नई दिशा और चेतना प्रदान की।

बिहार में आदिवासियों के झारखंड आंदोलन से अपनी पहचान बनाने वाले मधु मंसूरी हंसमुख का नाम जितना दिलचस्प है, उनके जीवन का सफर भी उतना ही रोचक रहा है। बचपन से ही इन्हें लोकगीतों का शौक रहा है। आगे चलकर इन्होंने झारखंड बनने के आंदोलन में अपने गीतों के ही ज़रिये लोगों के बीच अपनी […]

बिहार में इलेक्ट्रिक बस_इलेक्ट्रिक वाहन
August 28, 2024
क्या बिहार की इलेक्ट्रिक वाहन नीति इसे ईवी राज्य बनाने के लिए पर्याप्त है?
बिहार में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में उच्च पूंजी लागत, सीमित चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और बैटरी की उपलब्धता जैसी बाधाएं हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहन नीति के ज़रिये राज्य सरकार इससे निबटने के लिए प्रयास कर रही है।

उमाशंकर साह बिहार के शिवहर जिले के निवासी हैं और इलेक्ट्रिक ऑटो चलाकर अपनी आजीविका अर्जित करते हैं। उमाशंकर बताते हैं कि सामान्य दिन में खर्च काट कर 800-900 रुपये तक, और कोई खास दिन रहने पर डेढ-दो हजार रुपये तक भी कमाई हो जाती है। ताजा आर्थिक सर्वे के अनुसार, कई आर्थिक पैमानों पर […]

राहुल सिंह | 10 मिनट लंबा लेख
कक्षा में पढ़ते बच्चे_ग्रामीण लाइब्रेरी
August 14, 2024
कैसे ग्रामीण पुस्तकालय ज्ञान पर विशेषाधिकार को चुनौती दे रहे हैं
ग्रामीण सामुदायिक पुस्तकालयों पर ध्यान देकर सरकार वंचित तबके के बच्चों के अधिकार मिलना सुनिश्चित कर सकती है।

साल 2020 में, मैंने बिहार के किशनगंज जिले में सीमांचल लाइब्रेरी फाउंडेशन के ज़रिए लाइब्रेरी पहल की शुरुआत की थी। 25 लाख की आबादी वाले इस ज़िले में 65% पसमांदा मुसलमान रहते हैं। हमारे जिले के लोग देश के अलग-अलग शहरों में प्रवासी मजदूर के तौर पर काम करते हैं। यहां पुस्तकालय शुरू करने की […]

साक़िब अहमद | 6 मिनट लंबा लेख
बस में बैठी एक बूढ़ी औरत-मानसिक अस्पताल
January 11, 2023
क्या बिहार का बिमहास मानसिक अस्पतालों को लेकर आम नज़रिए को बदल सकता है?
बिहार सरकार द्वारा स्थापित बिमहास, उत्तर भारत में सार्वजनिक मानसिक स्वास्थ्य का केंद्र बन सकता है। इसके लिए मनोसामाजिक विकलांगता को लेकर जागरुकता अभियान और सहयोग की भी जरूरत होगी।

सितंबर, 2022 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के पहले और नवनिर्मित मानसिक अस्पताल, ‘बिहार मानसिक स्वास्थ्य एवं सम्बद्ध विज्ञान संस्थान (बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड अलाइड साइंसेज़ – बिमहास)’ का उद्घाटन किया। ऐसा करते हुए उन्होंने राज्य में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को सुलभ बनाने के लिए जरूरी हर […]

भवेश झा | 6 मिनट लंबा लेख
नीले और सफ़ेद स्कूल वाले कपड़ों में साइकल पर लड़कियां-बाल विवाह बिहार
April 27, 2022
बिहार में बाल विवाह: यह अब तक क्यों चला आ रहा है?
बिहार में हर पाँच लड़कियों में से दो से अधिक की शादी कम उम्र में हो जाती है। यहाँ राज्य में होने वाले बाल विवाहों के पीछे के कारणों के बारे में बताया गया है साथ ही इस प्रथा में कमी लाने वाले कुछ तरीकों के बारे में भी बात की गई है।

किशोरावस्था में शादी युवा महिलाओं और लड़कियों को उनके हक़ से वंचित करता है क्योंकि इसका संबंध कम उम्र में गर्भधारण, मातृ एवं बाल मृत्यु, घरेलू हिंसा और पीढ़ी दर पीढ़ी रहने वाली गरीबी से है। भारत में पिछले 20 वर्षों में बाल विवाह के स्तर में सुधार आया है। राजस्थान, छतीसगढ़ और मध्य प्रदेश […]