April 19, 2024

विकास सेक्टर के ईमानदार विचार 

कुछ ऐसी बातें जो समाजसेवी संस्थाएं काम करते हुए सोचती तो हैं लेकिन किसी से कहती नहीं हैं।
2 मिनट लंबा लेख
  1. आज हमने अपने कार्यकर्ताओं को दस रिपोर्ट बनाने को दी हैं लेकिन हमने उन्हें यह नहीं बताया कि उसमें क्या भरना या क्या बताना है।
  2. हमने अपने सभी ज़मीनी कार्यकर्ताओं को सर्वे करना सिखाया मगर उस डेटा का क्या करना है, ये हमें किसी ने नहीं बताया। 
  3. असल में हमारी रणनीति यह है कि हम इस पर बात नहीं करते हैं कि हमारी कौन सी रणनीति काम करती है। 
  4. इस बार हमने अपनी सालाना कॉन्फ्रेंस का समय सुबह के 9 बजे से अगली सुबह के 4 बजे तक ही रखा है ताकि इसमें शामिल होने वाले लोग एक साथ उगता हुआ सूरज देख सकें। 
  5. हम मोटी तनख्वाह देने में नहीं, बल्कि बड़े लक्ष्य देने में यकीन रखते हैं। 
  6. हम कॉर्पोरेट संस्कृति से दूरी रखते हैं। हमारे कामकाज का समय (ऑफिस ऑवर्स) केवल कहने के लिए 9-5 है।
  7. हम अपने कर्मचारियों को छुट्टी लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं लेकिन छुट्टी मंज़ूर तभी करते हैं जब वो अपना और अपने सीनियर्स का काम निपटा देते हैं। 
  8. हमारी छोटी सी बातचीत भी 57 मिनट की होती है… जस्ट अ क्विक कॉल!
  9. यह पोस्ट @nonprofitssay से प्रेरित है।

लेखक के बारे में
अंजलि मिश्रा-Image
अंजलि मिश्रा

अंजलि मिश्रा, आईडीआर में हिंदी संपादक हैं। इससे पहले वे आठ सालों तक सत्याग्रह के साथ असिस्टेंट एडिटर की भूमिका में काम कर चुकी हैं। उन्होंने टेलीविजन उद्योग में नॉन-फिक्शन लेखक के तौर पर अपना करियर शुरू किया था। बतौर पत्रकार अंजलि का काम समाज, संस्कृति, स्वास्थ्य और लैंगिक मुद्दों पर केंद्रित रहा है। उन्होंने गणित में स्नातकोत्तर किया है।

सृष्टि गुप्ता-Image
सृष्टि गुप्ता

सृष्टि गुप्ता आईडीआर में एडिटोरियल एसोसिएट हैं और लेखन, सम्पादन और अनुवाद से जुड़े काम करती हैं। इससे पहले सृष्टि ने स्प्रिंगर नेचर के साथ संपादकीय काम किया है। उन्होंने राजनीति विज्ञान में एमए किया है और लिंग, सामाजिक न्याय, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अध्य्यन करने में रुचि रखती हैं।

टिप्पणी

गोपनीयता बनाए रखने के लिए आपके ईमेल का पता सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *