सृष्टि गुप्ता

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सृष्टि गुप्ता आईडीआर में एडिटोरियल एसोसिएट हैं और लेखन, सम्पादन और अनुवाद से जुड़े काम करती हैं। इससे पहले सृष्टि ने स्प्रिंगर नेचर के साथ संपादकीय काम किया है। उन्होंने राजनीति विज्ञान में एमए किया है और लिंग, सामाजिक न्याय, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अध्य्यन करने में रुचि रखती हैं।




सृष्टि गुप्ता के लेख


एक युवती_युवा

August 12, 2024
सामाजिक बदलाव लाने में युवाओं की रुचि कैसे जगाएं?
यह अब तथ्य है कि युवा उन्हीं कार्यक्रमों में रुचि लेते हैं जो उन्हें सशक्त बनाने के साथ-साथ उनकी समस्याओं को हल और आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
डॉ. नरेंद्र गुप्ता_ डॉ. नरेंद्र गुप्ता से बातचीत

August 8, 2024
आईडीआर इंटरव्यूज | डॉ. नरेंद्र गुप्ता 
एक्टिविस्ट और स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र गुप्ता बताते हैं कि भारत में स्वास्थ्य के प्रति नज़रिया बदलना क्यों ज़रूरी है और राइट टू हेल्थ अधिनियम और जनस्वास्थ्य अभियान को बढ़ावा देना कितना अहम है।
ज़मीनी कार्यकर्ता मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए_तकनीक

August 1, 2024
ज़मीनी कार्यकर्ता तकनीक का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?
डेटा इकठ्ठा करने के लिए तकनीक को अपनाना ज़मीनी कार्यकर्ताओं के लिए उनके काम की योजना बनाने और रिपोर्ट बनाने में फायदेमंद है।
कमेंटरी करते हुए सिद्धू-फंडरेजिंग पिच

July 12, 2024
आपकी फंडरेजिंग पिच के लिए नवजोत सिंह सिद्धू की कमेंट्री
क्योंकि हर फंडर मीटिंग, विश्व कप फाइनल जैसी महसूस होती है।
पंचायत सीरीज का पोस्टर दृश्य_पंचायत सीरीज

June 14, 2024
रिपोर्ट लिखने के दौरान आने वाली कठिनाइयां
पंचायत सीरीज के नज़रिए से जानिए कि ज़मीनी कार्यकर्ताओं को किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जब रिपोर्ट लिखने की बात आती है।
हाथ में आईना लिए हुए एक बंदर_हल्का-फुल्का

April 19, 2024
विकास सेक्टर के ईमानदार विचार 
कुछ ऐसी बातें जो समाजसेवी संस्थाएं काम करते हुए सोचती तो हैं लेकिन किसी से कहती नहीं हैं।
शिक्षा विभाग पे व्यंग_शिक्षा

March 22, 2024
कथनी और करनी
शिक्षा व्यवस्था और उसकी ईमानदारी के किस्से।
ऑनलाइन काम करने के साथ बच्चों की देखभाल करती महिला_वर्क फ्रॉम होम

November 15, 2023
राजस्थान में आज भी महिलाओं को डायन बताने की कुप्रथा क्यों क़ायम है?
राजस्थान समेत देशभर में आज भी महिलाओं को डायन बताकर उत्पीड़ित करने की कुप्रथा है जिसकी जड़ें पितृसत्ता, मानवीय लालच और कमजोर कानूनों में दबी दिखाई देती हैं।
गेहूं के खेत में मुस्कुराती खड़ी एक महिला_महिला भूमि अधिकार

August 2, 2023
महिलाओं को भूमि अधिकार दिलाने का मतलब उन्हें सशक्त बनाना होना चाहिए
समाजसेवी संस्थाओं को महिलाओं को सबसे पहले समझाना होगा कि भूमि अधिकार उनके सम्मान से जीने का अधिकार भी है।