मनोरंजन

April 18, 2025
आईपीएल के बहाने फील्ड ट्रिप का किस्सा
जब कोई कर्मचारी फील्ड विजिट पर निकलता है, तो उसके हालात अक्सर एक आईपीएल मैच की तरह ही अनिश्चित, उतार-चढ़ाव से भरे और कभी-कभी रोमांचक भी होते हैं। कभी कोई मीटिंग सुपर ओवर जैसी होती है, तो कभी गांव की गली किसी स्लो पिच की तरह मुश्किल लगती है।
April 11, 2025
फील्ड वर्कर की डायरी: संघर्ष, सवाल और सैलरी का हिसाब!
समुदाय के साथ काम करते हुए, समाजसेवी संस्थाओं के जमीनी कार्यकर्ता कई बार ऐसी दुविधाओं से गुजरते हैं जब उन्हें समझ नहीं आता कि हंसे या नाराज हों, ऐसी ही कुछ झलकियां।
राकेश स्वामी | 4 मिनट लंबा लेख
March 28, 2025
ग्रांट गुरू- एआई जो फंडिंग दिलाए, चुटकियों में!
अप्रैल फूल के मौके पर लॉन्च हो रहा है ‘ग्रांट गुरू’ एआई टूल! जो संस्थाओं को फंडिंग दिलाने, फंडर से बातचीत करने और बेहतरीन प्रपोजल बनाने में मदद करता है– वह भी चुटकियों में!
March 21, 2025
अप्रेजल का महीना: क्या हुआ तेरा वादा?
अप्रेजल के महीने में संस्थाओं के कर्मचारियों की उम्मीदें सातवें आसमान पर रहती हैं। हालांकि अप्रेजल की घोषणा होते ही उन्हें आसमान से जमीन पर उतरने में ज्यादा समय नहीं लगता।
March 14, 2025
विकास सेक्टर की होली पार्टी के लिए बॉलीवुड प्लेलिस्ट
अगर आप विकास सेक्टर में अलग-अलग भूमिकाओं में काम करते हैं, तो आपके लिए बॉलीवुड का कौन सा गाना सबसे सटीक रहेगा?
March 7, 2025
ये सब तो कहना ही पड़ता है: ‘महिला दिवस’ विशेषांक 
महिलाओं की स्थिति वास्तव में बदले या ना बदले, लेकिन भाषणों की बड़ी-बड़ी बातें कभी नहीं बदलेंगी। सार्वजनिक मंचों पर उन बातों को दोहराना जरूरी है, जिनसे लगे कि सब ठीक चल रहा है।
February 28, 2025
एक वर्चुअल वर्कशॉप कैसे (न) करें
यह एक सत्य घटना पर आधारित नहीं है!
देबोजीत दत्ता | 5 मिनट लंबा लेख
February 21, 2025
शायर कार्यकर्ता का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
शायर कार्यकर्ता से आईडीआर की काल्पनिक बातचीत, जिसका वास्तविक घटनाओं से भरपूर मेल है।
February 14, 2025
बजट और हम: विकास सेक्टर की एक पुरानी कहानी के कुछ नए दृश्य
नए बजट से विकास सेक्टर में काम करने वालों को होने या ना होने वाले कुछ फायदे और नुकसान, जिनका ख्याल हमें आया।
February 7, 2025
पाताल लोक गाइड: जमीनी कार्यकर्ता विशाल आयोजनों में हिम्मत कैसे बनाए रखें
जब एक जमीनी कार्यकर्ता महानगर में आयोजित किसी ‘लग्जरी’ कार्यशाला में पहुंचता है तो मन खुद को ‘इंस्पेक्टर हाथीराम’ और आयोजन को 'पाताल लोक' सा महसूस करता है।
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