कर्नाटक की 'मक्कला ग्राम सभाएं' बच्चों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यहां चर्चा की गई है कि इसे और प्रभावी तरीक़े से कैसे कर सकते हैं।
लैंगिक बराबरी और लैंगिक संवेदीकरण को आसान और अधिक स्थाई बनाने के लिए इससे जुड़े प्रयासों में पुरुषों को भी हितधारक मानना और उन्हें ध्यान में रखकर कार्यक्रम तैयार करना ज़रूरी है।
आने वाले समय में सामाजिक संस्थाओं की प्रासंगिकता इस बात से भी तय होगी कि छोटे स्तर पर किए जा रहे उनके प्रयास वैश्विक तस्वीर का हिस्सा किस तरह से बन रहे हैं।