तकनीक का इस्तेमाल करने वाली समाजसेवी संस्थाओं के सामने कभी न कभी यह सवाल आता ही है कि उन्हें अपने कार्यक्रम के लिए अपनी एक ऐप विकसित करनी चाहिए या नहीं।
संगठन की वेबसाइट से फंडरेजिंग करने और क्राउडफंडिग में से एक चुनने की शर्त जरूरी नहीं है क्योंकि दोनों तरीक़ों का एक साथ इस्तेमाल करने के विकल्प भी मौजूद हैं।
आईएसडीएम और अशोका यूनिवर्सिटी के सीएसआईपी का यह अध्ययन बताता है कि जन-केंद्रित संस्कृति और काम के लिए सहयोगी वातावरण मुहैया करवाने वाले संगठन प्रतिभाओं को हासिल करने और रोके रखने में सफल होते हैं।
किसी कार्यक्रम को बनाना और उसे विस्तार देना चुनौतीपूर्ण काम है, यह आलेख बुजुर्गों की सहायता के लिए बनाई गई एक हेल्पलाइन के जरिए बताता है कि इन चुनौतियों से कैसे निपटा जा सकता है।
आईडीआर से बातचीत में सफीना हुसैन और महर्षि वैष्णव ‘एजुकेट गर्ल्स’ में नेतृत्व परिवर्तन (लीडरशिप ट्रांज़िशन) से जुड़े अपने अनुभव साझा कर रहे हैं और कुछ कारगर सुझाव भी दे रहे हैं।