समाजसेवी संगठन में विविधता, समानता और समावेशन (डीईआई) जैसे प्रमुख तत्वों को लेकर प्रतिबद्धता भर काफ़ी नहीं है बल्कि उन्हें संगठन के मूल तत्वों में बदले जाने की ज़रूरत है।
तमिलनाडु के एक पूर्व बंधुआ श्रमिक जो अब एक सामुदायिक नेता हैं, अपने एक दिन का हाल बताते हुए समुदाय की स्थिति बेहतर बनाने के प्रयासों का ज़िक्र कर रहे हैं।
राजस्थान के एक ई-मित्र कार्यकर्ता के जीवन का एक दिन कैसे बीतता है जब वह डिजिटल माध्यमों से सरकारी योजनाओं और ऑनलाइन सेवाओं की जानकारी देकर लोगों की मदद करता है।