एक हिंदी फीचर फ़िल्म का प्रतिनिधि दृश्य_इम्पैक्ट
जिला इम्पैक्टपुर में शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय संस्थाओं ने ऐसा कमाल किया कि स्कूलों की संख्या कम पड़ गई। कैसे? यहां जानिए!
सलमान फहीम, रजिका सेठ | 2 मिनट लंबा लेख
जंगल की हरियाली में कुछ महिलायें_ पर्यावरण सखी 

पर्यावरण सखियां: जिनके जिम्मे है कचरा प्रबंधन से लेकर पर्यावरण की रखवाली तक
सहस्त्रधारा, उत्तराखंड में सक्रिय पर्यावरण सखियों का काम सिर्फ कचरा इकट्ठा करने और छांटने तक सीमित नहीं है बल्कि यह उनकी अपनी धरती-हवा-पानी को सुरक्षित और संरक्षित करने का भी प्रयास है।
एक रंग-बिरंगी ड्राइंग जिसमें स्कूल, सड़क, गार्डन और प्रेरित करने वाले संदेशों के साथ एक कल्पनाशील शहर का दृश्य_समावेशी शिक्षा

एक समावेशी स्कूल कैसा होना चाहिए?
विकलांगता से प्रभावित बच्चों के लिए अलग-थलग समाधान की नहीं, बल्कि मौजूदा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है ताकि समावेशन संभव हो सके।

ज़मीनी कहानियां


मेरा एक दिन


घर में सीढ़ियों के पास एक व्यक्ति_इंडियन साइन लैंग्वेज
बराबरी की राह देखता बधिर समुदाय
यह​​​​ अधिकारों के लिए सक्रिय युवा कार्यकर्ता परमीत के जीवन, उनके काम और उनसे जुड़ी चुनौतियों की झलक प्रस्तुत करता है।
रिकॉर्डिंग स्टूडियो में माइक पर कागज से पढ़कर बोलती एक प्रौढ़ महिला_सामुदायिक रेडियो
स्टूडियो और गांव के बीच: एक सामुदायिक आरजे का दिन
इस वीडियो में दिखेगा कि कैसे एक सामुदायिक आरजे स्क्रिप्ट, रिकॉर्डिंग और गांव के बीच अपने दिन को बांटती हैं। यह कहानी सामुदायिक रेडियो कार्यकर्ता के काम को समझने की कोशिश है।
जंगल में लगी आग को बुझाती_महिला वन रक्षक
संवाद से संरक्षण तक: एक महिला वन रक्षक का सहभागी अनुभव
उदयपुर, राजस्थान की एक महिला फॉरेस्ट गार्ड वन संरक्षण और ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रही हैं, उनके संघर्ष और अनुभवों के बारे में यहां पढ़िए।