हल्का-फुल्का

April 26, 2024
‘एक मैनेजर अपनी टीम को क्या-क्या नहीं दे सकता पर उसे चाहिए, बस छुट्टी!’
यह मैनेजर की डायरी पूरी तरह से काल्पनिक है और विकास सेक्टर में काम करने वाले उन तमाम मैनेजर्स को समर्पित है जो चाहे-अनचाहे अपनी टीम के सदस्यों की छुट्टियां मंज़ूर कर ही देते हैं।
April 19, 2024
विकास सेक्टर के ईमानदार विचार 
कुछ ऐसी बातें जो समाजसेवी संस्थाएं काम करते हुए सोचती तो हैं लेकिन किसी से कहती नहीं हैं।
April 12, 2024
एक रिसर्चर को कैसे पहचानें?
तीन चित्र और तीन तरीक़े, जो बताते हैं कि ज़मीन पर रिसर्चर कैसे पहचाने जाते हैं।
March 29, 2024
समझ का फेर?
सामाजिक सेक्टर में भाषा की एक पहेली जो जाने कब हल होगी?
मीत ककाड़िया | 2 मिनट लंबा लेख
March 22, 2024
कथनी और करनी
शिक्षा व्यवस्था और उसकी ईमानदारी के किस्से।
March 15, 2024
क्या आपका जामनगर से आई इन तस्वीरों से कोई वास्ता है… देखिए, शायद हो?
न तो जामनगर का मेहमान होना आसान बात है और ना ही सोशल सेक्टर में काम करना।
रजिका सेठ, रवीना कुंवर | 4 मिनट लंबा लेख
March 8, 2024
जब कहने वाले हों हजार, तब चाहिए मन की शक्ति अपार
युवाओं को जब अपना करियर चुनना होता है तो कई बार उनसे ज़्यादा समाज की चलती है।
राकेश स्वामी | 2 मिनट लंबा लेख
March 1, 2024
कभी-कभी हेड ऑफिस से आने वाले फील्ड टीम की ‘मदद’ कैसे करते हैं?
कुछ स्थितियां जब हेड ऑफिस से आने वालों को ज़मीनी कार्यकर्ताओं की मदद की ज़रूरत होती है।
February 23, 2024
समाजसेवी संस्थाएं और उनके दबे-छिपे कामकाजी मूल्य
हर रोज़ काम (ना) आने वाले समाजसेवी संस्थाओं के कामकाजी मूल्य।
रजिका सेठ | 2 मिनट लंबा लेख
February 16, 2024
जिनसे हमें प्रेरणा मिलती है, उन किसानों को क्या मिलता है?
किसानों और मेहनतकशों को लेकर मीडिया की नज़र।
मीत ककाड़िया | 2 मिनट लंबा लेख
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