ऊन के धागों से बनाया गया एक पारंपरिक पैटर्न_जलवायु परिवर्तन

अलग-अलग योग्यता वाले कई हितधारकों का सहयोग कार्यक्रमों को लंबे समय तक प्रभावी बनाएं रखने के लिए जरूरी है। जैसे एचयूएफ ने एक तरह का सहयोगात्मक संघ बनाया है। इसमें भागीदार के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय परियोजना ट्रस्ट केंद्र (सीआईपीटी) पंजाब, किसान सहकारी समितियां, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के अकादमिक विशेषज्ञ और सरकार सभी शामिल हैं।
अनंतिका सिंह, रीशू गर्ग | 8 मिनट लंबा लेख
ग्राम सभा में जमीनी कार्यकर्ता_हिंदी

एक बार फील्ड में: जब शुद्ध हिंदी बोलने के चक्कर में गड़बड़ हो गई
जमीनी कार्यकर्ताओं को समुदाय के साथ हिंदी में ही बात करने की समझाइश दी जाती है, इसी कोशिश के चलते हुई गड़बड़ी का एक दिलचस्प किस्सा।
आशा सहयोगिनी संतोष चारण_आशा कार्यकर्ता

“मेरी एक गलती या देरी लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित कर सकती है”
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ की एक आशा सहयोगिनी के दिन का हाल जो स्वास्थ्य के साथ-साथ शराबबंदी, घरेलू हिंसा, भ्रष्टाचार जैसे तमाम मामलों पर अपनी आवाज बुलंद करने लगी है।
काम करती हुई महिला श्रमिक_शहरी अध्ययन

शहर और गांव की पहचान क्या है और इसे कैसे तय किया जाना चाहिए?
शहरी अध्ययन पर शोध और विमर्श रखने वाले अकादमिक व्यक्तित्व, गौतम भान से द थर्ड आई की बातचीत के कुछ अंश।
शबानी हसनवालिया | 9 मिनट लंबा लेख
दयामनी बरला— दयामनी बरला से बातचीत

आईडीआर इंटरव्यूज | दयामनी बरला
झारखंड की आदिवासी कार्यकर्ता एवं पत्रकार दयामनी बरला बताती हैं कि कैसे वे जल, जंगल और जमीन से जुड़े आंदोलनों के जरिए लोगों को उनका हक दिलाने के लिए निरंतर संघर्ष करती रही हैं।

ज़मीनी कहानियां


मेरा एक दिन


आशा सहयोगिनी संतोष चारण_आशा कार्यकर्ता
“मेरी एक गलती या देरी लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित कर सकती है”
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ की एक आशा सहयोगिनी के दिन का हाल जो स्वास्थ्य के साथ-साथ शराबबंदी, घरेलू हिंसा, भ्रष्टाचार जैसे तमाम मामलों पर अपनी आवाज बुलंद करने लगी है।
खेत में बातें कर रही महिलाओं का एक झुंड_ग्रामीण कामकाजी महिला

एक युवा महिला के समाजसेवी संस्था से कॉर्पोरेट तक पहुंचने का सफ़र
समाजसेवी संस्था के साथ काम करने का अनुभव रखने वाली प्रतिभा सिंह अब उत्तर प्रदेश के एक ग्रामीण इलाक़े में बतौर सेल्स एग्जीक्यूटिव काम करती हैं, उनके एक दिन का हाल।
जिस दिन मैं चारकोल बनाने वाली यूनिट में काम पर नहीं जाता हूं, उस दिन मैं अपने समुदाय के लिए काम करता हूं और उनकी समस्याओं को सुलझाता हूं। | चित्र साभार:मुनियप्पन
मेरे पिछले जीवन में याद करने जैसा कुछ नहीं है
तमिलनाडु के एक पूर्व बंधुआ श्रमिक जो अब एक सामुदायिक नेता हैं, अपने एक दिन का हाल बताते हुए समुदाय की स्थिति बेहतर बनाने के प्रयासों का ज़िक्र कर रहे हैं।