सरकार से जुड़ने से पहले संस्थाओं को न केवल यह मालूम होना चाहिए कि उन्हें कहां और किस स्तर पर जुड़ना है, बल्कि यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि इससे सरकार को क्या लाभ होगा।
विकलांग जनों को व्यवस्थागत पूर्वाग्रहों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को असंभव न सही, लेकिन बहुत मुश्किल जरूर बना देता है।
कोविड महामारी के दौरान ही पता चल गया था कि प्रवासी श्रमिकों के मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए नीतियां, प्रक्रियाएं और प्रणालियां तत्काल तय किए जाने की ज़रूरत है।