लैंगिक बराबरी और लैंगिक संवेदीकरण को आसान और अधिक स्थाई बनाने के लिए इससे जुड़े प्रयासों में पुरुषों को भी हितधारक मानना और उन्हें ध्यान में रखकर कार्यक्रम तैयार करना ज़रूरी है।
महिला उद्यमियों के सामने आने वाली बैंक कर्ज से जुड़ी चुनौतियों को डिजिटल वित्तीय सेवाओं के जरिए दूर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए नीतियों और प्रक्रियाओं को महिलाओं के मुताबिक ढालने की जरूरत है।