छत्तीसगढ़ और झारखंड के कोयला-निर्भर क्षेत्रों में जस्ट ट्रांज़िशन की प्रक्रिया के मुख्य केंद्र में स्थानीय लोगों को जमीन वापस देने का विचार क्यों होना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में बीते 12 सालों से चल रहा कोयला सत्याग्रह कुछ सीखें देता है जिनकी मदद से पर्यावरण की रक्षा के लिए एक मज़बूत जन-आंदोलन खड़ा किया जा सकता है।
बीते कई सालों से वर्षा की अनियमितता की वजह से फसल-चक्र बिगड़ा है और किसानों को भारी नुक़सान उठाना पड़ा है। इसके चलते अब वे अपनी ज़मीनें निजी कंपनियों को देने पर मजबूर हो रहे हैं।
केके शैलजा (पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, केरल) और लिबी जॉनसन (ग्राम विकास) से आईडीआर की बातचीत जिसमें वे आपदाओं से निपटने की सरकारी रणनीति और जन-संगठनों के आपसी सहयोग पर बात कर रही हैं।