पर्यावरण

March 20, 2024
कोयला-निर्भर समुदायों को नौकरी से ज़्यादा ज़मीन की चिंता क्यों है?
छत्तीसगढ़ और झारखंड के कोयला-निर्भर क्षेत्रों में जस्ट ट्रांज़िशन की प्रक्रिया के मुख्य केंद्र में स्थानीय लोगों को जमीन वापस देने का विचार क्यों होना चाहिए।
February 20, 2024
कॉप बैठकों के बारे में ज़मीनी संस्थाओं को क्या जानना चाहिए और क्यों?
दुनियाभर के कुछ गैर-सरकारी संगठन कॉप आयोजनों का हिस्सा बनते हैं और जलवायु से जुड़े अलग-अलग तरह के सामुदायिक हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
चारू जोशी | 6 मिनट लंबा लेख
February 7, 2024
समुदाय अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए सत्याग्रह कैसे करें?
छत्तीसगढ़ में बीते 12 सालों से चल रहा कोयला सत्याग्रह कुछ सीखें देता है जिनकी मदद से पर्यावरण की रक्षा के लिए एक मज़बूत जन-आंदोलन खड़ा किया जा सकता है।
राजेश कुमार त्रिपाठी | 8 मिनट लंबा लेख
January 15, 2024
सरल-कोश: जलवायु परिवर्तन
विकास सेक्टर से जुड़े कठिन अंग्रेज़ी शब्दों को सरल हिंदी में समझें – जलवायु परिवर्तन।
January 8, 2024
नवीकरणीय ऊर्जा, हमेशा पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित कैसे बनी रह सकती है
भारत में स्वच्छ ऊर्जा सेक्टर तेज़ी से विकसित हो रहा है लेकिन क्या यह परिवर्तन लोगों और हमारे ग्रह के अनुकूल है जिसे हर कोई चाहता है?
December 14, 2023
कैसे मौसम की अनियमितता किसानों से उनकी खेती-बाड़ी छीन रही है
बीते कई सालों से वर्षा की अनियमितता की वजह से फसल-चक्र बिगड़ा है और किसानों को भारी नुक़सान उठाना पड़ा है। इसके चलते अब वे अपनी ज़मीनें निजी कंपनियों को देने पर मजबूर हो रहे हैं।
मिथिलेश धर दुबे | 12 मिनट लंबा लेख
December 5, 2023
फोटो निबंध: सार्वजनिक भूमि को बचाए रखने में पूरे गांव की भूमिका होती है
राजस्थान में मवेशियों के लिए चारे की कमी और सार्वजनिक ज़मीन पर अतिक्रमण की समस्या से जूझ रहे थाना गांव ने समुदाय की मदद से इसका हल ढूंढ लिया है।
मीत ककाड़िया | 9 मिनट लंबा लेख
October 31, 2023
आपदा प्रबंधन, केरल और ओडिशा से सीखा जा सकता है
केके शैलजा (पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, केरल) और लिबी जॉनसन (ग्राम विकास) से आईडीआर की बातचीत जिसमें वे आपदाओं से निपटने की सरकारी रणनीति और जन-संगठनों के आपसी सहयोग पर बात कर रही हैं।
October 19, 2023
पर्यावरण बचाने के लिए आंदोलन खड़ा करने में क्या-क्या लगता है?
पर्यावरणविद स्टालिन दयानंद, पर्यावरण से जुड़े आंदोलनों में जनभागीदारी पर बात कर रहे हैं और बता रहे हैं क्यों ये विकास विरोधी नहीं कहे जा सकते हैं।
October 16, 2023
क्या शिमला शहर का अस्तित्व अब संकट में है?
शिमला उदाहरण है कि कैसे कोई शहर अनियोजित निर्माण, जलवायु परिवर्तन तथा असंगत विकास नीतियों के चलते अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने पर मजबूर हो सकता है।
इंद्रेश शर्मा | 8 मिनट लंबा लेख
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