स्पीति ज़िले के परंपरागत लकड़ी शिल्पकार से जानिए कि कैसे बदलती खेती, बढ़ते पर्यटन और शहरीकरण ने इलाके में सामुदायिक जीवन और परंपरागत वास्तुकला को बदल दिया है।
किसानों की आय उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने के लिए किसान उत्पादक संगठनों (एफ़पीओ) को मार्केट-रेडी उत्पाद का मॉडल विकसित करने और विकेंद्रीकृत उत्पादन पर ज़ोर देने की ज़रूरत है।
तमिलनाडु के एक पूर्व बंधुआ श्रमिक जो अब एक सामुदायिक नेता हैं, अपने एक दिन का हाल बताते हुए समुदाय की स्थिति बेहतर बनाने के प्रयासों का ज़िक्र कर रहे हैं।
राजस्थान के आदिवासी समुदायों से आने वाले अकुशल श्रमिक गुजरात के गांवों में जाकर कृषि मज़दूरी करते हैं लेकिन इस पलायन की वजहें और समस्याएं आज भी अदृश्य लगती हैं।
अहमादाबाद की बॉयलर फैक्ट्रियों में जहां एक तरफ उद्योग मानकों का पालन नहीं हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ श्रमिकों से स्वास्थ्य और जीवन के लिए घातक परिस्थितियों में काम लिया जा रहा है।
राजस्थान समेत देशभर में आज भी महिलाओं को डायन बताकर उत्पीड़ित करने की कुप्रथा है जिसकी जड़ें पितृसत्ता, मानवीय लालच और कमजोर कानूनों में दबी दिखाई देती हैं।
स्कूली बच्चों में बुनियादी कौशल और उद्यमी मानसिकता विकसित करना, उनकी रचनात्मकता को बढ़ाने और उन्हें बेहतर करियर विकल्पों की तरफ ले जाने वाला हो सकता है।