भूमि अधिकार

September 3, 2025
फोटो निबंध: बीमारी और एकाकीपन के बीच नमक उगाता अगरिया समुदाय
कच्छ के छोटे रण में नमक की खेती करने वाली अगरिया महिलाएं पानी, भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में जीने के लिए विवश हैं।
सुदेशना चौधरी | 8 मिनट लंबा लेख
December 23, 2024
संपत्ति समावेशन क्या है और यह नागरिक अधिकारों से कैसे जुड़ता है?
भारत में संपत्ति क्षेत्र पर हालिया अध्ययन ने हाशिए पर रहने वाले और कमजोर समुदायों के लिए संपत्ति अधिकारों की चुनौतियों को उजागर किया है।
June 10, 2024
थारू आदिवासी: जहां प्रतिरोध एक परंपरा है
लखीमपुर खीरी के थारू आदिवासी, दुधवा नेशनल पार्क की स्थापना के समय से ही वन विभाग के साथ संघर्ष कर रहे हैं और अब उनकी दूसरी-तीसरी पीढ़ी इसे आगे बढ़ा रही है।
सहबिनया राना, रामचंद्र | 2 मिनट लंबा लेख
March 20, 2024
कोयला-निर्भर समुदायों को नौकरी से ज़्यादा ज़मीन की चिंता क्यों है?
छत्तीसगढ़ और झारखंड के कोयला-निर्भर क्षेत्रों में जस्ट ट्रांज़िशन की प्रक्रिया के मुख्य केंद्र में स्थानीय लोगों को जमीन वापस देने का विचार क्यों होना चाहिए।
February 16, 2024
जिनसे हमें प्रेरणा मिलती है, उन किसानों को क्या मिलता है?
किसानों और मेहनतकशों को लेकर मीडिया की नज़र।
मीत ककाड़िया | 2 मिनट लंबा लेख
February 7, 2024
समुदाय अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए सत्याग्रह कैसे करें?
छत्तीसगढ़ में बीते 12 सालों से चल रहा कोयला सत्याग्रह कुछ सीखें देता है जिनकी मदद से पर्यावरण की रक्षा के लिए एक मज़बूत जन-आंदोलन खड़ा किया जा सकता है।
राजेश कुमार त्रिपाठी | 8 मिनट लंबा लेख
September 6, 2023
एफआरए के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों का दावा कैसे कर सकते हैं?
विभिन्न राज्यों में एफआरए पर काम कर रहे दो जानकारों से जानिए कि आदिवासी समुदायों तक उनके वन अधिकार पहुंचाने की प्रक्रिया और चुनौतियां क्या हैं।
August 22, 2023
भूमि अधिकारों तक महिलाओं की पहुंच मजबूत कैसे हो?
महिलाओं के भूमि अधिकारों से जुड़े हस्तक्षेप कार्यक्रमों की कमी इशारा है कि समुदाय-आधारित संगठनों को सशक्त बनाया जाना चाहिए।
August 2, 2023
महिलाओं को भूमि अधिकार दिलाने का मतलब उन्हें सशक्त बनाना होना चाहिए
समाजसेवी संस्थाओं को महिलाओं को सबसे पहले समझाना होगा कि भूमि अधिकार उनके सम्मान से जीने का अधिकार भी है।
July 19, 2023
विमुक्त जनजातियों पर पुलिसिया पहरे के पीछे जातिवाद है
अंग्रेज़ी राज में बनी आपराधिक न्याय प्रणाली आज भी पुलिस के लिए विमुक्त जनजातियों और पिछड़े समुदायों के उत्पीड़न का हथियार बन रही है।
निकिता सोनवने | 7 मिनट लंबा लेख
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