ब्रिजस्पैन की एक रिपोर्ट जो बताती है कि कैसे देश के सीमांत किसान जिनमें मुख्यरूप से आदिवासी, दलित और महिला किसान शामिल हैं, जलवायु संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
मज़बूत लग रही सरकारी नीतियों के बावजूद, किसानों के पास मोटे अनाजों को उगाने, प्रोसेसिंग करने और उन्हें संग्रहित करने के लिए ज़रूरी सुविधाएं और समर्थन नहीं हैं।
जलवायु परिवर्तन से हीटवेव में हो रही बढ़ोत्तरी के लिए ज़रूरी है कि सरकार राष्ट्रीय स्तर की नीतियों में इससे निपटने के उपाय शामिल करे ताकि अर्थव्यवस्था और जनजीवन दोनों पर इससे पड़ने वाले असर को कम किया जा सके।