रजिका सेठ

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रजिका सेठ आईडीआर हिंदी की प्रमुख हैं, जहां वह रणनीति, संपादकीय निर्देशन और विकास का नेतृत्व सम्भालती हैं। राजिका के पास शासन, युवा विकास, शिक्षा, नागरिक-राज्य जुड़ाव और लिंग जैसे क्षेत्रों में काम करने का 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्होंने रणनीति प्रशिक्षण और सुविधा, कार्यक्रम डिजाइन और अनुसंधान के क्षेत्रों में टीमों का प्रबंधन और नेतृत्व किया। इससे पहले, रजिका, अकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में क्षमता निर्माण कार्य का निर्माण और नेतृत्व कर चुकी हैं। रजिका ने टीच फॉर इंडिया, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी और सीआरईए के साथ भी काम किया है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में बीए और आईडीएस, ससेक्स यूनिवर्सिटी से डेवलपमेंट स्टडीज़ में एमए किया है।




रजिका सेठ के लेख


सर्वे करती कुछ महिलायें_ज़मीनी कार्यकर्ता

July 11, 2024
समाजसेवी संस्थाओं के जमीनी कार्यकर्ताओं की मुख्य चुनौतियां क्या हैं?
आईडीआर का एक अध्ययन बताता है कि ज़मीनी कार्यकर्ताओं को किन बिंदुओं पर समाजसेवी संस्थाओं से समर्थन की अपेक्षा होती है।
कैमरे से फोटो लेते हुए_सफल कहानी

May 10, 2024
एक किस्सा सफलता की कहानियों का
सामाजिक सेक्टर में काम करते हुए अक्सर सफलता की कहानियों को इकट्ठा करने पर बहुत ज़ोर दिया जाता है, इससे जुड़े कुछ किस्से आप यहां देख सकते हैं।
फ़ेक्टरी में काम करता श्रमिक_श्रमिक कार्ड

May 1, 2024
देश का श्रमिक-वर्ग दस्तावेजों के मकड़जाल में उलझा क्यों दिखता है?
अपने देश के श्रमिक वर्ग के लिए सामाजिक कल्याण और योजनाओं के लाभ उपलब्ध करवाना तो दूर उन्हें उनके सरकारी पहचान दस्तावेज दिला पाने में भी हम बहुत पीछे हैं।
शंकर सिंह_शंकर सिंह से बातचीत

March 28, 2024
आईडीआर इंटरव्यूज | शंकर सिंह (भाग-दो) 
देश में आरटीआई आंदोलन के लीडर और एमकेएसएस के स्थापकों में से एक, सामाजिक कार्यकर्ता शंकर सिंह आईडीआर से बातचीत में अपने कामकाजी और निजी जीवन के बारे में बात कर रहे हैं।
शंकर सिंह_शंकर सिंह से बातचीत

March 21, 2024
आईडीआर इंटरव्यूज | शंकर सिंह (भाग-एक) 
देश में आरटीआई आंदोलन के लीडर और एमकेएसएस के स्थापकों में से एक, सामाजिक कार्यकर्ता शंकर सिंह आईडीआर से बातचीत में अपने कामकाजी और निजी जीवन के बारे में बात कर रहे हैं।
अंबानी परिवार_सोशल सेक्टर

March 15, 2024
क्या आपका जामनगर से आई इन तस्वीरों से कोई वास्ता है… देखिए, शायद हो?
न तो जामनगर का मेहमान होना आसान बात है और ना ही सोशल सेक्टर में काम करना।
दूरबीन_समाजसेवी संस्थाएं

February 23, 2024
समाजसेवी संस्थाएं और उनके दबे-छिपे कामकाजी मूल्य
हर रोज़ काम (ना) आने वाले समाजसेवी संस्थाओं के कामकाजी मूल्य।
बजट के बरसने की उम्मीद में विकास सेक्टर के लोग_बजट स्पेशल

February 2, 2024
बजट के बादल, हम पर जाने कब बरसेंगे?
विकास सेक्टर को भी बजट से उम्मीद थी कि वो बरसे तो कुछ बात आगे बढ़े।
सरकारी ऑफिस के टेबल पर फाइलें_हल्का फुल्का

November 1, 2023
जब पीनी पड़े चाय पे चाय, फिर भी काम ना हो पाय!
सरकारी दफ़्तर और ग़ैर-सरकारी संगठनों से जुड़े लोग, और वे नज़ारे जो चाहे-अनचाहे अक्सर ही दिख जाते हैं।
साड़ी में एक महिला किसी को हाथ दिखाकर पुकारते हुए_एफसीआरए

August 17, 2023
एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने का सबसे ज्यादा नुकसान किसे होगा?
समाजसेवी संस्थाओं के एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने का असर बढ़ी हुई बेरोज़गारी, हताश समुदाय और कमजोर लोकतंत्र के रूप में दिख सकता है।