February 13, 2025

सरकार का बजट, संस्थाओं की कैसे मदद कर सकता है?

सरकार का बजट, संस्थाओं के लिए न केवल उसकी नीतियों को जानने का माध्यम है, बल्कि इससे उन्हें अपने कार्यक्रमों की प्लानिंग करने में भी मदद मिल सकती है।
8 मिनट लंबा लेख

हर साल केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा 1 फरवरी को बजट पेश किया जाता है। बजट पेश करने के साथ ही वित्त मंत्रालय बजट से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज भी सार्वजनिक करता है। इन्हीं दस्तावेजों में बजट दस्तावेज के माध्यम से सरकार विस्तार से यह बताने की कोशिश करती है, कि उसकी प्राथमिकताएं क्या हैं।

संविधान के अनुच्छेद 112 में बजट शब्द को सरकार के आधिकारिक दस्तावेजों में वार्षिक वित्तीय विवरण के नाम से भी जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, क्योंकि इससे सरकार को अपने वास्तविक खर्च और आमदनी का अनुमान मिलता है।

लेकिन क्या बजट दस्तावेज केवल सरकार के लिए ही महत्वपूर्ण है?

“मेरे लिए बजट एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा मैं यह जान पाती हूं कि सरकार हर साल कौन से क्षेत्रों को अधिक प्राथमिकता दे रही है।” – सोनी झा, (प्रथम संस्था)

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“बजट में मुझे यह जानने की उत्सुकता रहती है कि जिस सेक्टर में मैं काम करता हूं, उसके लिए सरकार कितना बजट आवंटित कर रही है। इससे हमें अपने कार्यक्रम की प्लानिंग करने में आसानी होती है।” – बिराज उपाध्याय (निधि संस्था, ओडिशा)

“जब भी बजट आता है, तो मैं यह देखता हूं कि सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य बजट में कितनी बढ़ोतरी की है।” – गोकुल प्रजापति (ग्रामीण स्वावलंबन समिति, मध्य प्रदेश)

आइए इस लेख में जानते हैं कि अगर आप किसी संस्था से जुड़े हुए हैं, तो सरकार का बजट आपके लिए क्यों जरूरी है तथा आपकी संस्था बजट से जुड़ी जानकारी को कैसे इस्तेमाल कर सकती है।

सरकार की नीतियों को जानने के लिए

बजट सिर्फ संख्याओं का दस्तावेज नहीं होता, बल्कि यह सरकार की प्राथमिकताओं, योजनाओं और नीतियों का आईना भी होता है। बजट यह दर्शाता है कि वर्तमान में सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, वन,पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों के लिए कितनी प्रतिबद्ध है। उदाहरण के लिए, अगर सरकार बजट में ग्रामीण विकास के अंतर्गत मनरेगा, आवास एवं ग्राम सड़क योजना को प्राथमिकता देती है, तो आपको ग्रामीण विकास मंत्रालय के बजट में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। यदि आपकी संस्था मनरेगा में बजट आवंटन और उसके खर्च को लेकर निरीक्षण संबंधित काम करती है, तो आप ग्रामीण विकास मंत्रालय के बजट से कई अहम जानकारियां जुटा सकते हैं। ऐसे में बजट में हुई कटौती या बढ़ोतरी से सरकार की मंशा को समझने में भी मदद मिलती है।     

अपने काम की प्लानिंग के लिए

यदि आपकी संस्था स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, आजीविका या किसी अन्य संबंधी सेक्टर में काम करती है, तो आपको सरकार के बजट से अपने कार्यक्रमों की प्लानिंग करने में मदद मिल सकती है। यह प्लानिंग दो परिस्थितियोंमें की जा सकती है पहला, जब सरकार किसी सेक्टर की योजना में बजट बढ़ाएऔर दूसरा, जब वह उसके बजट में कटौती करे। अगर सरकार शिक्षा बजट में बच्चों के गुणवत्ता घटक (क्वालिटी कंपोनेन्ट) पर काम करने के लिए खर्च  बढ़ाती है, तो इससे संबंधित संस्थाएं बजट के अनुसार सरकार के साथ अपने काम को जोड़ने का प्लान बना सकती हैं। ऐसे में संस्थाएं उस घटक में फंड लगाने की जगह अन्य चीजों पर ध्यान दे सकती हैं। उदाहरण के लिए, प्रथम संस्था स्कूली शिक्षा में न केवल सरकार को पाठ्यक्रम डिजाइन करने में सहयोग करती है, बल्कि शिक्षक प्रशिक्षण तथा सीखने के स्तर की जांच व बेहतरी के लिए  भी कई कार्यक्रम चलाती है। यदि सरकार इन घटकों पर खुद से पहल करती है, तो यह संस्था अपने कार्यक्रमों में कुछ अलग करने का प्लान बना सकती है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि इस तरह की संस्थाएं सरकार के साथ किस कैपेसिटी में जुड़कर काम कर रही हैं।

500 के नोट और 20 के सिक्के—बजट
बजट सिर्फ संख्याओं का दस्तावेज नहीं होता, बल्कि यह सरकार की प्राथमिकताओं, योजनाओं और नीतियों का आईना भी होता है। | चित्र सभार: पिक्सल्स

इसके उलट यदि सरकार किसी सेक्टर की योजना में बजट कटौती करती है, तो संस्थाएं उस कटौती के परिणाम के अनुसार अपने काम की प्लानिंग कर सकती हैं। इन परिणामों को ध्यान में रखते हुए संस्थाएं हस्तक्षेप डिज़ाइन या उसके प्रभावों को सरकार के साथ साझा कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि सरकार मनरेगा में पिछले अनुमानित या संशोधित अनुमान से कम बजट की घोषणा करती है, तो संस्थाएं उसके परिणामों के अवलोकन के लिए प्लान बना  सकती हैं। साथ ही वह उन्हें सरकार के साथ साझा कर, उसके प्रभावों से भी अवगत करा सकती हैं। 

सरकार की नयी योजनाओं में अवसर तलाशने के लिए

कई बार सरकार बजट में कुछ खास उद्देश्यों के लिए सेक्टर के अंदर नयी योजनाएं भी शुरू करती है। इस तरह से संस्थाएं भी अपने-अपने सेक्टर की नयी योजनाओं में अवसर तलाश सकती हैं। उदाहरण के लिएआपकी संस्था स्वच्छता पर कैपेसिटी बढ़ाने का काम करती है और  सरकार द्वारा नये बजट में शौचालय निर्माण पर फोकस किया जा रहा है। ऐसे में आपकी संस्था योजना को समझने से लेकर उसके कार्यान्वन में सहयोग करने और उसकी जवाबदेही बढ़ाने जैसे कई विषयों के लिए कार्यक्रम डिजाइन कर सकती है। यानि सरकार के बजट से आपको यह अंदाजा मिलता है कि आपको किस दिशा में आगे बढ़ना है। इसलिए सरकार के बजट को समझना जरूरी है, ताकि आप इसके माध्यम से कोई नया कार्यक्रम/प्रोजेक्ट डिजाइन कर पाएं और साथ ही अपने पुराने प्रोजेक्ट में भी प्रासंगिक बदलाव कर सकें।

कर (टैक्स) छूट और वित्तीय प्रोत्साहन के लिए

सरकार अपने बजट में कई बार कंपनियों व व्यक्तिगत दानकर्ताओं को दान (डोनेशन) करने पर कर (टैक्स) की छूट देती है, ताकि वे सामुदायिक विकास के लिए संस्थाओं को अधिक दान दे सकें। ऐसे में यदि सरकार बजट में धारा 80जी और 12ए जैसी कर छूट को बरकरार रखती है अथवा उसे बढ़ाती है, तो ज्यादा से ज्यादा लोग दान देने के लिए प्रेरित होंगे और संस्थाएं अधिक फंड प्राप्त कर पाएंगी। इसके साथ ही सरकार यदि सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत कंपनियों को अधिक दान करने के लिए प्रोत्साहित करती है, तो संस्थाओं को अधिक फंडिंग मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।

सरकार के बजट से आपको यह अंदाजा मिलता है कि आपको किस दिशा में आगे बढ़ना है।

उदाहरण के लिए, एक ऐसी  संस्था जिसे धारा 12A के तहत कर की छूट प्राप्त है, उसे अपने लाभ पर टैक्स नहीं देना पड़ता है। अगर कोई व्यक्ति इस तरह की संस्था को ₹10,000 दान देता है, तो उसे 80G के तहत 50%, यानी ₹5,000 पर कर छूट मिलती है।

इसके अलावा, सरकार के बजट में संस्थाओं के लिए वित्तीय सहायता के प्रावधान भी शामिल हैं, जहां वे सरकार के एनजीओ दर्पण की वेबसाईट पर खुद को पंजीकृत करके फंड के लिए आवेदन कर सकती हैं। ऐसे में यदि कोई संस्था शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास या पर्यावरण संरक्षण इत्यादि सेक्टर में काम कर रही है, तो वह सरकार द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता के लिए भी आवेदन कर सकती है।

वित्तीय पारदर्शिता एवं जवाबदेही बढ़ाने के लिए

सरकार के पास जो पैसा आ रहा है, वह कितना है और उसका खर्च किस तरह हो रहा है, सरकार अपने पास इसका पूरा रिकॉर्ड रखती है। बजट दस्तावेज से आप समझ सकते हैं कि सरकार  कर (टैक्स) द्वारा चुकाए गये सार्वजनिक पैसे और संसाधनों का पारदर्शी, प्रभावी और कुशल उपयोग कर रही है या नहीं। आप बजट दस्तावेज की मदद से सरकार से उनकी नीतियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित कर सकते हैं।

बजट दस्तावेज के आंकड़ों से यह भी मालूम चलता है कि सरकार ने अपनी घोषणाओं में जो वायदे किए थे, क्या वे बजट में दिखाई दे रहे हैं या नहीं। इस तरह की जानकारी से न केवल विमर्श  का माहौल बनता है, बल्कि जवाबदेही को भी बढ़ावा मिलता है। अगर किसी सरकारी परियोजना में पैसों  की हेराफेरी होती है, तो बजट रिपोर्ट्, ऑडिट और आरटीआई के जरिए इसकी जांच की जा सकती है।

इसी तरह, आपको अपने राज्य बजट के बारे में भी जानकारी रखना आवश्यक है, ताकि आप अपनी संस्था के कार्यक्रमों को राज्य की प्राथमिकताओं के अनुरूप ढालने के बारे में विचार कर पाएं ।

यहां संस्थाओं का यह जानना भी जरूरी है कि बेशक बजट और उससे जुड़े सभी दस्तावेज महत्वपूर्ण  होते हैं, लेकिन उन्हें समझना इतना भी आसान नहीं होता क्योंकि उनमें कई तरह के तकनीकी शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में यदि संस्थाएं  सरकार के बजट को समझने की  अपनी क्षमता में इजाफा करती हैं, तो निःसंदेह वे सरकार के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकती हैं।

इस आलेख को तैयार करने में ताजुद्दीन खान ने सहयोग किया है।

अधिक जानें

  • बजट समझने से पहले ही उसकी शब्दावली को जानें
  • जानें कि समाजसेवी संस्थाओं को सरकार के साथ जुड़कर काम क्यों करना चाहिए।

लेखक के बारे में
इंद्रेश शर्मा-Image
इंद्रेश शर्मा

इंद्रेश शर्मा आईडीआर में मल्टीमीडिया संपादक हैं और वीडियो सामग्री के प्रबंधन, लेखन निर्माण व प्रकाशन से जुड़े काम देखते हैं। इससे पहले इंद्रेश, प्रथम और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च संस्थाओं से जुड़े रहे हैं। इनके पास डेवलपमेंट सेक्टर में काम करने का लगभग 12 सालों से अधिक का अनुभव है जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, पोषण और ग्रामीण विकास क्षेत्र मुख्य रूप से शामिल रहे हैं।

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