सामाजिक न्याय

August 5, 2025
भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली​​ में​​ वंचित ​​समुदायों की उपेक्षा
​बिहार में कारावास की हकीकत आज भी जातीय भेदभाव और ढांचागत पक्षपात से प्रभावित है, जिसे समावेशी और न्यायपूर्ण बनाने के लिए बुनियादी बदलाव की जरूरत है।​
प्रवीण कुमार | 10 मिनट लंबा लेख
July 28, 2025
घरेलू हिंसा अधिनियम: न्याय के लिए बेहतर अमल की जरूरत
घरेलू हिंसा कानून ने कई महिलाओं को न्याय दिलाने में सहायता की है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता आज भी चुनौतियों से घिरी हुई है।
निखत शेख, रेशमा जगताप | 7 मिनट लंबा लेख
June 17, 2025
जन से, जन के लिए: फिलन्थ्रॉपी और सामाजिक न्याय का अटूट संबंध
फिलन्थ्रॉपी भय के माहौल में फल-फूल नहीं सकती, खासतौर से तब जब उसका उद्देश्य ही लोगों को भयमुक्त और सशक्त बनाना हो।
मार्टिन मैकवान | 4 मिनट लंबा लेख
June 11, 2025
ज्ञान की राजनीति: संविधान और एनटी-डीएनटी समुदाय
​एकपक्षीय प्रसार के कारण संवैधानिक ज्ञान अभी भी एनटी-डीएनटी समुदायों की पहुंच से बाहर है।​
दीपा पवार | 8 मिनट लंबा लेख
May 12, 2025
विकलांगता पर संवेदनशील पत्रकारिता: एक मार्गदर्शिका
विकलांगता के विषय पर होने वाली रिपोर्टिंग की भाषा में संवेदनशीलता की जरूरत है।
शिवानी जाधव | 7 मिनट लंबा लेख
April 14, 2025
अंबेडकर की विचार यात्रा कहां से कहां तक जाती है
पुणे स्थित स्वतंत्र शोधकर्ता और लेखक अशोक गोपाल के साथ, हिंदी पॉडकास्ट पुलियाबाज़ी की बातचीत।
March 17, 2025
भारतीय राजनीति में विकलांग प्रतिनिधित्व की कठिन राह
विकलांग जनों को व्यवस्थागत पूर्वाग्रहों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को असंभव न सही, लेकिन बहुत मुश्किल जरूर बना देता है।
March 10, 2025
घुमंतू और विमुक्त जनजाति के युवाओं के लिए सामाजिक न्याय
एनटी-डीएनटी एक्टिविस्ट और अनुभूति संस्था की संस्थापक, दीपा पवार से सुनिए कि सामाजिक न्याय के व्यावहारिक प्रयास कैसे होने चाहिए।
January 28, 2025
पीढ़ी दर पीढ़ी आने वाले सामाजिक बदलावों में बहुत समय और धैर्य लगता है
नट सरीखे पारंपरिक प्रथाओं को मानने वाले समुदाय के साथ काम करते हुए समय, धैर्य और सामाजिक जटिलताओं को गहरी समझ की ज़रूरत होती है।
निशा दुबे | 10 मिनट लंबा लेख
November 25, 2024
भारत के अपराध कानून अपने नागरिकों को सजा कैसे देते हैं?
सुधार के दावों के बावजूद, भारतीय अपराध कानून आज भी बहुत असंगत तरीके सजा देते, नागरिक मामलों का अपराधीकरण करते और अंग्रेजों के जमाने के मूल्यों को ढोते दिखते हैं।
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