सामाजिक न्याय

November 21, 2024
अपनी पहचान बनाने के संघर्ष में विमुक्त घुमंतू जनजातियां
ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहे विमुक्त घुमंतू जनजाति समुदायों ने अंग्रेजी शासन से लेकर आज तक सामाजिक और प्रशासनिक भेदभाव का सामना किया है। देखें, उनकी चुनौतियों और पहचान की लड़ाई की पूरी कहानी।
नूर मुहम्मद कलंदर | 6 मिनट लंबा लेख
November 4, 2024
रोहिंग्या संकट में नागरिक समाज संगठन कैसे मदद कर सकते हैं?
भारत में रोहिंग्या समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित किया गया है, वे विस्थापित हैं और अदृश्य कर दिए गए हैं। नागरिक समाज उन्हें एक गरिमामय जीवन तक पहुंचने में कैसे मदद कर सकता है?
October 24, 2024
फॉस्टर केयर प्रणाली को मजबूत करने के देश में क्या कदम उठाए जाने की जरूरत है
फॉस्टर केयर एक ऐसा सिस्टम है जो उन बच्चों को देखभाल और सुरक्षा प्रदान करता है जिन्हें अपने जैविक माता-पिता के साथ रहने का मौका नहीं मिल रहा हैं।
सत्यजीत मजूमदार | 12 मिनट लंबा लेख
October 22, 2024
थियेटर ऑफ द ऑप्रेस्ड: वंचितों का रंगमंच जिसमें हम सब कलाकार हैं
कैसे समाजसेवी संस्थाएं, थियेटर ऑफ द ऑप्रेस्ड का इस्तेमाल कर शिक्षा, समाज और पर्यावरण से जुड़े तमाम मुद्दों पर एक नई तरह से संवाद विकसित कर सकती हैं।
ज़ुबैर इदरीसी | 5 मिनट लंबा लेख
September 2, 2024
भारत में जनसंख्या वृद्धि से जुड़े मिथकों से मुक़ाबला कैसे करें?
हाल ही में भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया। इसने एक व्यापक और गलत धारणा को जन्म दिया है कि भारत की आबादी, संसाधनों की कमी से लेकर जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर वैश्विक मुद्दों की जड़ है।
May 1, 2024
देश का श्रमिक-वर्ग दस्तावेजों के मकड़जाल में उलझा क्यों दिखता है?
अपने देश के श्रमिक वर्ग के लिए सामाजिक कल्याण और योजनाओं के लाभ उपलब्ध करवाना तो दूर उन्हें उनके सरकारी पहचान दस्तावेज दिला पाने में भी हम बहुत पीछे हैं।
October 19, 2023
पर्यावरण बचाने के लिए आंदोलन खड़ा करने में क्या-क्या लगता है?
पर्यावरणविद स्टालिन दयानंद, पर्यावरण से जुड़े आंदोलनों में जनभागीदारी पर बात कर रहे हैं और बता रहे हैं क्यों ये विकास विरोधी नहीं कहे जा सकते हैं।
August 9, 2023
बीते तीन महीनों से मणिपुर में हो रही हिंसा के प्रभाव की कहानी
मणिपुर में सामाजिक न्याय के लिए महीनों से चल रहे संघर्ष और हिंसा की पूरी कहानी और यह भी कि आप कहां और कैसे मददगार बन सकते हैं।
July 19, 2023
विमुक्त जनजातियों पर पुलिसिया पहरे के पीछे जातिवाद है
अंग्रेज़ी राज में बनी आपराधिक न्याय प्रणाली आज भी पुलिस के लिए विमुक्त जनजातियों और पिछड़े समुदायों के उत्पीड़न का हथियार बन रही है।
निकिता सोनवने | 7 मिनट लंबा लेख
June 29, 2023
आत्मदाह और एसिड हमले के पीड़ितों को मुख्यधारा में कैसे लाया जाए?
एसिड हमले और आत्मदाह के पीड़ितों को ऐसे पुनर्वास कार्यक्रमों की जरूरत है जिनमें समाज और वे खुद भी उन्हें उनके बदले स्वरूप में स्वीकार कर सकें।
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