सुधार के दावों के बावजूद, भारतीय अपराध कानून आज भी बहुत असंगत तरीके सजा देते, नागरिक मामलों का अपराधीकरण करते और अंग्रेजों के जमाने के मूल्यों को ढोते दिखते हैं।
राजस्थान समेत देशभर में आज भी महिलाओं को डायन बताकर उत्पीड़ित करने की कुप्रथा है जिसकी जड़ें पितृसत्ता, मानवीय लालच और कमजोर कानूनों में दबी दिखाई देती हैं।