कानून

November 20, 2025
नए पर्यावरण नियमों में खनन परियोजनाओं को जनसुनवाई से छूट क्यों दी जा रही है?
बीते दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक जरूरतों का हवाला देते हुए सरकार ने यूरेनियम, लिथियम सहित कई महत्त्वपूर्ण खनिजों की खनन परियोजनाओं को जनसुनवाई से छूट दे दी है।
विवेक मिश्रा | 4 मिनट लंबा लेख
November 11, 2025
कॉमन्स और स्वशासन: समुदायों की भागीदारी क्यों जरूरी है
सामुदायिक संसाधनों पर चर्चा और जागरुकता बनाए रखने के लिए ग्राम-सभाओं को सशक्त बनाना और उनके एजेंडे को कॉमन्स और समुदाय की जरूरतों पर केंद्रित करना जरूरी हो गया है।
October 22, 2025
संघर्ष से परे: कश्मीर के दर्द और जीवटता की कहानी
कश्मीर में दशकों से अशांति और हिंसा ने एक गहरी मानसिक वेदना को जन्म दिया है। कश्मीरी आवाम इससे कैसे जूझती है और इस दिशा में कौन से कदम उठाये जाने चाहिए?
सैयद मुजतबा | 12 मिनट लंबा लेख
October 8, 2025
गिग कामगारों को बुनियादी अधिकार देने वाले कानूनों की राह इतनी कठिन क्यों है
लंबे समय तक एडवोकेसी और संघर्ष के बाद बने कानूनों से कई राज्यों में गिग और प्लेटफार्म कामगारों को सामाजिक सुरक्षा का आश्वासन तो मिला है लेकिन इतना भर होना काफी नहीं है।
शेख सलाउद्दीन | 10 मिनट लंबा लेख
August 28, 2025
ग्रामदान की वर्तमान चुनौतियां और कानूनी उलझनें
हमारे देश में ग्रामदानी व्यवस्था पचास वर्षों से भी ज्यादा पुरानी है। लेकिन जो गांव उस दौर में ग्रामदान को स्वीकार कर चुके थे, वे अब उससे पीछे हटना चाहते हैं।
August 5, 2025
भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली​​ में​​ वंचित ​​समुदायों की उपेक्षा
​बिहार में कारावास की हकीकत आज भी जातीय भेदभाव और ढांचागत पक्षपात से प्रभावित है, जिसे समावेशी और न्यायपूर्ण बनाने के लिए बुनियादी बदलाव की जरूरत है।​
प्रवीण कुमार | 10 मिनट लंबा लेख
July 28, 2025
घरेलू हिंसा अधिनियम: न्याय के लिए बेहतर अमल की जरूरत
घरेलू हिंसा कानून ने कई महिलाओं को न्याय दिलाने में सहायता की है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता आज भी चुनौतियों से घिरी हुई है।
निखत शेख, रेशमा जगताप | 7 मिनट लंबा लेख
May 29, 2025
नए एफसीआरए संशोधनों के क्या मायने हैं
जानिए कि 2025 के एफसीआरए संशोधन गैर-लाभकारी संगठनों, विशेष रूप से प्रकाशन से जुड़े संगठनों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं।​
May 28, 2025
नारीवादी नैतिकता और हालिया कानूनी नजरिए में क्या और कितना अंतर है?
नारीवादी नजरिया कहता है आरोपी, पीड़ित और समाज तीनों के लिए न्याय की भावना बनी रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम और व्यक्ति को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।
मैत्रेयी मिसरा | 8 मिनट लंबा लेख
May 14, 2025
हमारे कानूनों को हिंदी में पढ़ना और समझ पाना इतना कठिन क्यों है?
जनहित के लिहाज से सबसे जरूरी कानूनों को भी जिस तरह की हिंदी में लिखा जाता है, उसे समझने के लिए आम लोग तो छोड़िए हिंदी के जानकारों को भी कई बार शब्दकोश देखना पड़ सकता है।
सत्याग्रह | 14 मिनट लंबा लेख
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