अंधाधुंध रेत खनन से बढ़ता जल और जीवन का संकट

Location Iconछोटाउदेपुर जिला, गुजरात
एक ट्रक नदी से रेत निकालते हुए_रेत खनन
अंधाधुंध खनन का खामियाजा स्थानीय लोग भुगत रहे हैं। | चित्र साभार: सेजल राठवा

मध्य प्रदेश के भावरा गांव के जंगलों से निकलने वाली ओरसंग नदी गुजरात के छोटाउदेपुर जिले से गुज़रती है। यह नदी इस इलाक़े के लोगों को जीवन देने वाली है। छोटाउदेपुर जिला आदिवासियों और उनकी संस्कृति के साथ डोलोमाइट, ग्रेनाइट और रेत जैसी खनिज संपदाओं से भरपूर होने के कारण जाना जाता है। ओरसंग नदी, जिले में रेत खनन का मुख्य केंद्र है। पिछले दो दशकों से यहां रेत खनन बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसके चलते छोटाउदेपुर के आसपास लगभग 55 किलोमीटर का नदी का तट 10 से 15 फुट तक गहरा हो गया है।

इस नदी की रेत की मांग निर्माण (कन्स्ट्रकशन) उद्योग में ज़्यादा है। इसके चलते उसको बेचकर होने वाले फायदे को देख कर धीरे-धीरे यहां रेत माफिया बन गए जिन्होंने गैरकानूनी रेत खनन शुरू कर दिया। नदी के किनारों पर हर रात को अब 10-12 ट्रक रेत खनन करते हुए दिख जाते हैं।

अंधाधुंध खनन का खामियाजा यहां के स्थानीय लोग भुगत रहे हैं। पहले नदी के आसपास के कई किलोमीटर तक बोरवेल के जल का स्तर नीचे नहीं जाता था और नदी के तट पर छोटे गड्ढे खोदते ही पानी ऊपर आ जाता था। लेकिन अब यहां पर पानी का स्तर बहुत नीचे चला गया है जिसके चलते पानी की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं। इतना ही नहीं, जहां ओरसंग की पूरक नदियां जैसे ऐनी नदी, भरज नदी, हेरान नदी, मेरिया नदी पहले गर्मी के मौसम तक नहीं सूखती थी, वे अब सर्दी आने से पहले ही सूख जाती हैं जो पानी की कमी का कारण है। इसके चलते लोगों को अब उधार पर पानी खरीदना पड़ता है।

छोटाउदेपुर के नदी तट के गावों में जंगली जानवरों के हमले भी बढ़ गए हैं क्योंकि इलाक़े में दिन-रात हो रहे रेत खनन के चलते जानवरों को नदी का पानी नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते वे पानी की खोज में गांवों की ओर निकल पड़ते हैं।

भारी रेत खनन के कारण ही 2023 में बारिश के मौसम में सिहोद पुल की नींव बाहर आ गई थी। ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि बारिश में नदी के ज़ोर को रोकने का काम रेत करती थी—जो अब नहीं हो पाता है। नदी में अब रेत की जगह नीचे की मिट्टी दिखने लगी है। ओरसांग नदी की कई ऐसी जगहें हैं जहां ज्यादा रेत खनन होने के कारण मिट्टी और पत्थर बाहर आ गए हैं।

अत्यधिक रेत खनन के चलते नदी का कटाव तेजी से हो रहा है और इसके चलते ओरसांग नदी पर बने पुलों की नींव अब सुरक्षित नहीं रह गई है। छोटा उदयपुर जिला के बहादरपुर का संखेडा पुल, बोडेली तहसील के नजदीक बना ढोकलिया मोडासर पुल, ओरसांग एक्वेडकट जेतपुर पावी से रतनपुर पुल, ऐसे कई पुल हैं जिनकी नींव पूरी तरह से खतरे में है। इस तरह से सभी पुलों की नींव पर मंडरा रहे इस खतरे की असल वजह बड़े पैमाने पर हो रहा रेत खनन ही है। नदियों में हो रहे रेत खनन की वजह से नदियों के किनारे हुए निर्माण अब असुरक्षित होते जा रहे हैं।

आसपास की कुछ ग्राम पंचायतों ने अपने इलाके में बहने वाली नदी में रेत खनन को रोकने की मुहिम शुरू की है—इस उम्मीद में कि उनकी नदी, उसका पानी और रेत लंबे समय तक बरकरार रह सकें। पानी और रेत का संरक्षण करने के लिए उन्होंने नदी पर छोटे-छोटे चेक डैम भी बनाए हैं।

दूसरे पैराग्राफ में एक तथ्यात्मक गलती को ठीक करने के लिए इस लेख को 18 दिसंबर, 2023 को अपडेट किया गया था।

सेजल राठवा एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और गुजरात के छोटाउदेपुर जिले में रहती हैं।

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