जीतेन्द्र वसावा एक कवि हैं जो दहवाली भीली भाषा में कविताएं लिखते हैं। वे गुजरात के नर्मदा जिले के महुपाड़ा गांव में आदिवासी साहित्य अकादमी के संस्थापक और अध्यक्ष हैं और आदिवासी आवाज़ों को समर्पित एक कविता पत्रिका- लखारा का संपादन करते हैं। जीतेन्द्र का डॉक्टरेट शोध नर्मदा जिले के भीलों की मौखिक लोक कथाओं के सांस्कृतिक और पौराणिक पहलुओं पर केंद्रित था।