दक्षिणी राजस्थान में उदयपुर जिले के आसपास की कभी बंजर पड़ी जमीन अब सुरक्षित और विकसित है। पिछले 25 वर्षों में इन आम ज़मीनों को उनके आसपास के गांवों द्वारा बहुत ही सावधानी से चारागाहों में बदल दिया गया है।
इसे बनाए रखने के लिए हर घर अपना योगदान देता है और होने वाले फायदे को भी आपस में सब बराबर बांटते हैं। अपनी जमीन पर दूसरों के अतिक्रमण (दूसरे गांवों या आवारा चरने वाले पशुओं और बकरियों) से बचाव को सुनिश्चित करने के लिए झडोल प्रखण्ड में सुल्तान जी का खेरवारा के गाँव के निवासियों ने एक अनोखी रणनीति को विकसित किया है। इस गाँव में कुल 450 घर हैं। अपनी ज़मीन की रक्षा के लिए ग्रामीणों ने चौकीदारी का फ़ैसला किया। जिसके लिए उन्होंने हर दिन एक अलग घर के एक सदस्य को निगरानी के काम पर भेजना शुरू कर दिया।
उन्होनें एक मजेदार तरीका भी विकसित किया है ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि चारागाहों पर निगरानी की बारी कौन से घर की है। निगरानी करने वाले आदमी को एक छड़ी दी जाती है जिसे वह हमेशा अपने पास रखता है। जब उनकी बारी खत्म हो जाती है तब वह उस छड़ी को अपने पड़ोसी के घर के बाहर रख देता है जो इस बात का संकेत होता है कि अगली बारी उनकी है। इस तरह से, यह छड़ी एक घर से दूसरे घर तक जाती है और ग्रामीणों को यह बताती है कि इस बार गाँव के चीजों की सुरक्षा की बारी उनकी है।
आएशा मरफातिया पहले इंडिया डेवलपमेंट रिव्यू में संपादकीय सहयोगी थीं।
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