आजीविका
February 1, 2023

ओडिशा के जंगल आग से क्यों झुलस रहे हैं?

केंदुझर जिला, ओडिशा
2 मिनट लंबा लेख

ओडिशा में खेती के लिए जंगलों को काटकर साफ़ किया जा रहा है। नतीजतन राज्य के केंदुझर जिले के बांसपाल ब्लॉक में जंगल में आग लगना बेहद आम बात हो गई है। इस क्षेत्र में औसत जोत बहुत ही कम है और इलाक़े के ज़्यादातर निवासी भूमिहीन हैं। इसलिए वे अक्सर ही जंगलों को काटकर जला देते हैं ताकि उन्हें खेती के लिए ज़मीन मिल जाए और उनकी आजीविका चल सके। एफ़ईएस में, 2018 से हम समुदाय के लोगों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि जंगल पर उनकी निर्भरता ख़त्म हो जाए और जंगल की आग में कमी आ जाए। हम जंगल में लगने वाली आग के नकारात्मक परिणामों के बारे में बताकर समुदाय के लोगों को इस विषय पर जागरूक कर रहे हैं। इसके लिए हम विशेष रूप से समुदाय के पिछड़े और कमजोर वर्गों की पहचान करते हैं। उनकी पहचान के बाद हम उन्हें सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों से जोड़ते हैं ताकि उन लोगों को आजीविका के वैकल्पिक साधन मिल जाए। साथ ही, हम लोग कम लागत वाली खेती को भी बढ़ावा देते हैं। हमारे इन प्रयासों के कारण ही साल 2019 और 2020 में इलाके के जंगलों में लगने वाली आग में बहुत अधिक कमी आई है

हालांकि 2021 में हमने देखा कि जंगल के आग लगने की घटनाएं फिर से बढ़ गईं। गहन जांच के बाद यह बात सामने आई कि आग की घटनाओं में अचानक हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण वृद्धि का कारण कोविड-19 महामारी है। लॉकडाउन के कारण, कई प्रवासी मज़दूरों को अपने घर वापस लौटना पड़ा। इस दौरान उनके पास अपनी आजीविका के लिए खेती के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। चूंकि खेती के लिए उनके पास अपनी उपजाऊ ज़मीन नहीं थी इसलिए उन्हें जंगलों को जलाना पड़ा। 

तब से अब तक स्थिति में कुछ सुधार आया है। कुछ प्रवासी मज़दूर काम की तलाश में शहर लौट गए हैं। वहीं, बाकी बचे मज़दूरों को मनरेगा के तहत काम मिल गया और कुछ मज़दूर स्थाई रूप से खेती करने लगे हैं। इसके अलावा, जंगल की आग से जुड़ी घटनाओं के प्रबंधन के लिए ग्रामीण-स्तरीय क़ानून भी बनाए गए हैं। उदाहरण के लिए, जंगल के सुरक्षित हिस्सों में आग जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है और जिन हिस्सों की सफ़ाई आवश्यक हैं वहां नियंत्रित रूप से आग जलायी जाती है। साथ ही, वन विभाग भी इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सतर्कता बरत रहा है।

कार्तिक चंद्र प्रुस्टी जंगलों पर सामूहिक भूमि अधिकारों को सुविधाजनक बनाने और ओडिशा के दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने पर काम करते हैं।

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अधिक जानें: जानें कि ओडिशा में ग्रामीण उन जंगलों को कैसे उगाते हैं जिनसे वे संसाधन एकत्र करते हैं।

अधिक करें: उनके काम को विस्तार से जानने और उनका समर्थन करने के लिए कार्तिक से kartik@fes.org.in पर सम्पर्क करें।

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