किसानों की मांग: ब्लॉक स्तर पर मौसम पूर्वानुमान केंद्र का निर्माण

Location Icon नंदुरबार जिला, महाराष्ट्र
नंदुरबार के खेत_मौसम विज्ञान केंद्र
पूरे महाराष्ट्र में ज्यादातर किसान बारिश होने के बाद बुआई करते हैं। | चित्र साभार: सतीश मालवीय

नंदुरबार जिले के धड़गांव तालुका के माल गांव के किसान बटे सिंह पावरा (61) मौसम की बढ़ती अनियमितता से बेहद चिंतित नजर आते हैं। उनका कहना है कि खरीफ की पिछली फसल के दौरान उन्होंने जून के दूसरे हफ्ते में बुआई शुरू कर दी थी। लेकिन उम्मीद के मुताबिक समय से बारिश न होने के कारण उन्हें नुकसान हुआ। फिर फसल के पकने और कटाई के समय बहुत ज्यादा बारिश हुई, जिससे फसल को दोबारा नुकसान हुआ। इस तरह जिस खेत से मुझे 12 से 15 क्विंटल मक्का मिलता था, उससे मुझे केवल छह क्विंटल ही मक्का मिला। यह नुकसान इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि बटे सिंह के गांव में मौसम पूर्वानुमान की सूचना समय से नहीं पहुंचती। इस कारण फसलों का प्रबंधन ठीक से नहीं हो पाता है।

इसी जिले के अक्कलकुवा तहसील के मौलगी में रामसिंह वलवी (64) एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) चलाते हैं। वे बताते हैं कि उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा हवामान का अंदाजा (मौसम पूर्वानुमान) व्हाट्सप्प पर मिल जाता है। वे उसके मुताबिक अपनी खेती को नियोजित करते हैं। लेकिन बारिश या तूफान का पूर्वानुमान हमेशा सटीक साबित हो, ऐसा जरूरी नहीं है। 

रामसिंह कहते हैं कि नंदुरबार जिले में कुल 925 गांव हैं, लेकिन मौसम पूर्वांनुमान केंद्र जिला मुख्यालय में स्थित है। ऐसे में यह कई गांव और तालुका से काफी दूरी पर हैं। जैसे इस केंद्र से मौलगी गांव करीब 100 किलोमीटर दूर है। ऐसे में इसकी सही और सटीक सूचनाएं देने की क्षमता पर हमेशा संशय बना रहता है। वह बताते हैं, “हमारा एफपीओ आमचूर बनाने का काम करता है। मेरे हिसाब से दूरी के मुताबिक मौसम पूर्वानुमान भी बदलता है। कई बार ऐसा हुआ है कि हमने आम काटकर सुखाने रखे और पूर्वानुमान के मुताबिक मौसम भी साफ था। लेकिन फिर भी बारिश हो गयी और हमारा उत्पाद खराब हो गया। ऐसे में हमें काफी नुकसान उठाना पड़ता है।” वलवी इस बात की पैरवी करते हैं कि अगर हर गांव में नहीं तो कम से कम 15 से 20 गांव के क्लस्टर में किसान परामर्श केंद्र के साथ एक मौसम पूर्वांनुमान केंद्र बनाना चाहिए जिससे किसानों को स्थानीय तौर पर मौसम की सटीक जानकारी मिल सके।

पूरे महाराष्ट्र में ज्यादातर किसान बारिश होने के बाद बुआई करते हैं। लेकिन 75 मिलीमीटर बारिश होने के बाद ही बुआई करनी चाहिए, यह सूचना उन्हें कहां से मिलेगी? ये तभी संभव हो पाएगा जब ग्राम और ब्लॉक स्तर पर एग्रोमेट स्टेशन होंगे। इसके अलावा किसान को फसल में खाद डालनी है या कीटनाशक छिड़काव करना है, तो उसे मौसम की जानकारी होना बहुत आवश्यक है। 

महाराष्ट्र कृषि विभाग की वेबसाइट के अनुसार, महावेध परियोजना के अंतर्गत महाराष्ट्र में सर्कल स्तर पर 2127 स्वचालित मौसम स्टेशन (एडब्ल्यूएस) स्थापित किए गए हैं। लेकिन किसानों की मांग है कि इसे पंचायत स्तर तक लाया जाना चाहिए।

अधिक जानें: क्या कृषि और जल संकटों का हल ग्राम स्वराज में मिल सकता है?

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