November 1, 2024

इस दीवाली जानिए आप विकास सेक्टर की कौन सी मिठाई हैं?

दीपावली की मिठाइयों और विकास सेक्टर के तमाम तबकों के बीच की इस तुलना में तुक-तान खोजना आपका काम है।
5 मिनट लंबा लेख

1. फंडर्स

फंडर्स की तुलना काजू कतली से की जा सकती है – फैन्सी, हमेशा डिमांड में रहने वाली और मिठाई समाज में प्रतिष्ठित। शायद ही कोई होगा जिसे काजू कतली नहीं पसंद होती है, हर कोई इसे पाना, या खाना चाहता है लेकिन यह कभी उतनी मात्रा में नहीं मिल पाती जितने की उम्मीद होती है।

काजू कतली_दीवाली

2. बड़े समाजसेवी संगठन

बड़े समाजसेवी संगठन, मगज के लड्डू की तरह होते हैं। वे हमेशा से हैं, हमेशा के लिए हैं और हर जगह हैं। उनके बिना दीवाली अधूरी है। ये संगठन लड्डुओं की तरह, बाहर से एकदम व्यवस्थित, सुडौल और मजबूत दिखाई देते हैं। भीतर की तो वे ही जानें। कई बार, लड्डुओं की तरह ये एक से दूसरी जगह पर लुढ़कते हुए भी दिख जाते हैं।

मगज के लड्डू_दीवाली

3. जमीनी कार्यकर्ता

जमीनी कार्यकर्ताओं को जलेबी की तरह देखा जाता है। ज्यादातर बार जिस संस्था के लिए वे काम कर रहे होते हैं, वे ही उनकी जरूरतों और मुश्किलों को नहीं समझ पाते हैं। वहीं, कई बार ऐसा भी होता है जिस समुदाय के साथ वे काम कर रहे होते हैं, वह भी नहीं बता पाता है कि जमीनी कार्यकर्ता क्या और क्यों कर रहे हैं। लेकिन इतने के बाद भी ये जलेबी सरीखी अपनी मिठास, कुरकुरेपन और गर्माहट के साथ सबको साथ लाने में सफल होते हैं।

फेसबुक बैनर_आईडीआर हिन्दी
जलेबी की तस्वीर_दीवाली

4. इम्प्लीमेंटेशन टीम

जैसे कोई नहीं जानता कि सोनपापड़ी के डिब्बे के घूमने का सिलसिला कहां से शुरू होता है और कहां खत्म होता है, और कैसे वो एक से दूसरे और दूसरे तीसरे हाथ में पहुंचती रहती है। वैसे ही, कोई इम्प्लीमेंटेशन टीम के बारे में कुछ नहीं बता सकता है क्योंकि ये हर दिन एक नए मिशन पर निकलती है। सोनपापड़ी की तरह नाजुक, परतदार और अक्सर गलत समझी जाने वाली इम्प्लीमेंटेशन टीम की मेहनत बहुत बार अनदेखी रह जाती है।

सोनपापड़ी की तस्वीर_दीवाली

5. समुदाय

सुंदर, छोटी-छोटी, सुनहरी बूंदियों से बना मोतीचूर का लड्डू ही समुदाय को सबसे अच्छी तरह से दिखा सकता है। और, बता सकता है कि जब छोटी-छोटी इकाइयां साथ आती हैं तो कितना स्वाद आ सकता है। मोतीचूर के लड्डुओं की तरह समुदाय को भी बहुत सावधानी और प्यार से बरतना पड़ता है, अगर एक छोटी गलती हुई तो इन्हें बिखरने में देर नहीं लगती है।

मोतीचूर का लड्डू_दीवाली

6. स्टेकहोल्डर्स (सरकारी भागीदार)

स्टेकहोल्डर्स रसगुल्ले की तरह नरम और स्पंजी होते हैं। कितना भी ज़रूरी काम हो आप उन पर ज़्यादा दबाव नहीं दे सकते हैं! अक्सर इनकी अपनी अलग राय, विचार और अपेक्षाएं होती हैं। अगर इनके साथ काम करते हुए, असावधानी हुई तो ये अपनी मिठास खो सकते हैं और आपको एक चिपचिपी हालत में पहुंचा सकते हैं।

रसगुल्ले की तस्वीर_दीवाली

7. नीति निर्माता (पॉलिसी मेकर्स)

नीतियां बनाने वाले अक्सर पेड़े की तरह मजबूत और भरोसेमंद होते हैं। अक्सर मिठाई सेक्टर की नवाचार मिठाई परियोजनाओं का आधार यही बनते हैं। कुछ लोगों को ये थोड़े रूखे-सूखे से लग सकते हैं और जिनसे ठोस ज्ञान निगला नहीं जाता, उन्हें यह खाने के बाद तुरंत बाद पानी की ज़रूरत महसूस हो सकती है।

मीठे पेड़े की तस्वीर_दीवाली
लेखक के बारे में
अंजलि मिश्रा-Image
अंजलि मिश्रा

अंजलि मिश्रा, आईडीआर में हिंदी संपादक हैं। इससे पहले वे आठ सालों तक सत्याग्रह के साथ असिस्टेंट एडिटर की भूमिका में काम कर चुकी हैं। उन्होंने टेलीविजन उद्योग में नॉन-फिक्शन लेखक के तौर पर अपना करियर शुरू किया था। बतौर पत्रकार अंजलि का काम समाज, संस्कृति, स्वास्थ्य और लैंगिक मुद्दों पर केंद्रित रहा है। उन्होंने गणित में स्नातकोत्तर किया है।

जूही मिश्रा-Image
जूही मिश्रा

जूही मिश्रा आईडीआर में एडिटोरिएल एसोसिएट हैं। उन्हें पत्रकारिता का 14 साल का अनुभव है और उन्होंने पत्रिका, टाइम्स ऑफ इंडिया, रोर मीडिया, दूता टेक्नोलॉजी और ग्राम वाणी के साथ काम किया है। जूही ने विकास संवाद संस्था से फेलोशिप पूरी की है, जहाँ उन्होंने बसोर समुदाय में खाद्य प्रणालियों और कुपोषण के कारणों पर शोध किया।

रवीना कुंवर-Image
रवीना कुंवर

रवीना कुंवर, आईडीआर हिंदी में डिजिटल मार्केटिंग एनालिस्ट हैं। इससे पहले वे एक रिपोर्टर के तौर पर काम कर चुकी हैं जिसमें उनका काम मुख्यरूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित था। रवीना, मीडिया और कम्युनिकेशन स्टडीज़ में स्नातकोत्तर हैं।

टिप्पणी

गोपनीयता बनाए रखने के लिए आपके ईमेल का पता सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *