1. देखो…देखो वो आ गया! …
हर दिसंबर की तरह इस बार भी संस्थाओं की एक ही विश लिस्ट
“डियर सैंटा ओह, मेरा मतलब डियर फंडर…”

2. छोटा प्रपोजल, बड़ा इरादा
“सैंटा जी… हमारा प्रपोजल भले छोटा हो, लेकिन इरादा बहुत बड़ा है!”

3. कॉर्पस फंड और नॉर्थ-पोल वाला जादू
“बस एक बड़ा सा कॉर्पस दे दीजिए सैंटा जिसके ब्याज से ही सालाना बजट निकल जाए”

4. आउटकम रिपोर्टिंग और सर्दियों की छुट्टियां
“सैंटा… इंपैक्ट रिपोर्टिंग से छुट्टी दे दीजिए न! हमने फील्ड वर्क किया, अब आप भरोसा भी कीजिए…”

5. प्रोजेक्ट नहीं, प्रोग्रेस!
“डियर सैंटा… प्रोजेक्ट तो सब देते हैं, आप थोड़ा सा प्यार भी दीजिए न। कहीं हम प्रोजेक्ट लिखने में ही ज़िंदगी न निकाल दें।”

6. कोर फंडिंग के जादुई पैकेट
“स्टाफ की सैलरी, बिजली का बिल, ऑफिस का किराया वगैरह-वगैरह… अब प्रोजेक्ट के साथ-साथ संस्था भी तो चलानी है न सैंटा…”

7. कौन से बिल से लायें ये बिल?
“गांव-देहात से जीएसटी वाला बिल कहां से लाएं सैंटा! अब छोटे-मोटे खर्चों के कच्चे बिल चलने दीजिए न!”





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