धरती पर ऑक्सीजन-कार्बन डाइआक्साइड का संतुलन बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदार फाइटोप्लैंक्टन की संख्या दिनों-दिन घटती जा रही है, अगर ऐसा ही रहा तो हमारा भविष्य कैसा दिखेगा?
हाल ही में भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया। इसने एक व्यापक और गलत धारणा को जन्म दिया है कि भारत की आबादी, संसाधनों की कमी से लेकर जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर वैश्विक मुद्दों की जड़ है।
ज़मीनी ज्ञान जहां समुदाय को आजीविका और विकास के स्थायी साधन देता है, वहीं अकादमिक ज्ञान से जोड़े जाने पर पर्यावरण और तकनीक से जुड़ी कई बड़ी समस्याओं के हल भी दे सकता है।
महिला उद्यमियों के सामने आने वाली बैंक कर्ज से जुड़ी चुनौतियों को डिजिटल वित्तीय सेवाओं के जरिए दूर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए नीतियों और प्रक्रियाओं को महिलाओं के मुताबिक ढालने की जरूरत है।
इस तथ्य के बावजूद कि मीडिया आत्महत्या के मामलों की संख्या पर उल्लेखनीय असर डाल सकता है, भारत में इससे जुड़ी रिपोर्टिंग की गुणवत्ता बहुत निचले स्तर की है। ऐसे में स्थिति को बेहतर बनाने के लिए क्या बदले जाने की ज़रूरत है?
सुजाता खांडेकर कोरो की संस्थापक निदेशक हैं। आईडीआर से उनकी इस बातचीत में जानिए कि सामाजिक परिवर्तन की कोशिशों में जमीनी स्तर के ज्ञान और अनुभव को कैसे शामिल किया जा सकता है।