श्रमिक, यूनियन और नागरिक संगठन बता रहे हैं कि सीमित बजट, कम मज़दूरी और भ्रष्टाचार के बाद भी मनरेगा स्थानीय विकास और महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका कैसे निभाता है।
लखीमपुर खीरी के थारू आदिवासी, दुधवा नेशनल पार्क की स्थापना के समय से ही वन विभाग के साथ संघर्ष कर रहे हैं और अब उनकी दूसरी-तीसरी पीढ़ी इसे आगे बढ़ा रही है।
प्रदान द्वारा जारी आदिवासी आजीविका रिपोर्ट के महिलाओं से जुड़े कुछ आंकड़े जो शिक्षा, स्वास्थ्य, निर्णय क्षमता जैसे विषयों पर उनकी स्थिति का पता देते हैं।
अर्थशास्त्री आश्चर्य जताने लगे हैं कि भारत के अलावा दुनिया में कोई और देश नहीं जहां आर्थिक विकास होने के बावजूद दस सालों से ग्रामीण मज़दूरी ठहरी हुई हो।
ज़मीनी ज्ञान जहां समुदाय को आजीविका और विकास के स्थायी साधन देता है, वहीं अकादमिक ज्ञान से जोड़े जाने पर पर्यावरण और तकनीक से जुड़ी कई बड़ी समस्याओं के हल भी दे सकता है।