पर्यावरण

August 14, 2025
फोटो निबंध: पॉपलर की कमी से जूझता कश्मीर का ‘पेंसिल गांव’​
कश्मीर का ओखू गांव भारत में पेंसिल की स्लैट का सबसे बड़ा उत्पादक है। पॉपलर वृक्षों की कटाई ने लकड़ी की आपूर्ति, रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था—तीनों को संकट में डाल दिया है।
July 18, 2025
जब तक सूरज-चांद रहेगा, किसका-किसका नाम रहेगा?​​
बड़ी घोषणाओं की जमीनी हकीकत में अक्सर विरोधाभास नजर आता है।
June 23, 2025
नदियों की कहानी, समुदायों की ज़ुबानी : पूर्वोत्तर जनस्मृति का डिजिटल अभिलेख
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच, नदी किनारे बसे समुदाय मेमोरी मैप्स, ऑडियो नोट्स और तस्वीरों के माध्यम से मौखिक इतिहास और पारंपरिक अनुकूलन रणनीतियों को संरक्षित कर रहे हैं।
वंदना मेनन | 9 मिनट लंबा लेख
June 9, 2025
क्या है जल सुरक्षा: भारत की चुनौतियां और समाधान
किसी भी देश की सुरक्षा सिर्फ़ उसकी सीमाओं से संबंधित कारकों पर ही निर्भर नहीं होती। पानी जैसे संसाधनों की स्थिति भी सुरक्षा को प्रभावित करती है।
प्रदीपिका सारस्वत | 7 मिनट लंबा लेख
June 6, 2025
सेविंग द अर्थ: वन ​​स्पीच​​ एट ए टाइम
पर्यावरण जैसे अहम मुद्दे पर काम करने वाली संस्थाओं की कथनी और करनी में अक्सर विरोधाभास नजर आता है।
May 7, 2025
आईडीआर से समझिए: सामुदायिक संसाधन या कॉमन्स क्या हैं? 
सामुदायिक संसाधनों के प्रकार, इतिहास, संरक्षण प्रयासों और कानून पर वह सबकुछ जो आपको जानना चाहिए।
April 17, 2025
रिवर फ्रंट: नदी, नियोजन और पर्यावरणीय सरोकार
किसी भी राज्य में रिवर फ्रंट से जुड़ी गतिविधियों की शुरुआत से पहले वहां की भौगोलिक परिस्थितियों और स्थानीय लोगों को भरोसे में लेना भी जरूरी है।
राहुल सिंह | 10 मिनट लंबा लेख
February 11, 2025
शहर में बेघर, ऊपर से ठंड का कहर
अक्सर शहरों को सुंदर बनाए जाने के दौरान बेघर लोगों से उनके अस्थाई आश्रय भी छीन लिए जाते हैं जो ठंड और बारिश में उनका जीवन और कठिन बना देता है।
सुनील कुमार अलेडिया | 12 मिनट लंबा लेख
December 17, 2024
भारत के इलेक्ट्रिक वाहनों से भरे कल में मैकेनिक कहां दिखते हैं?
भारत की पर्यावरण प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन जैसी समस्याओं का हल ई-वाहनों में खोजा जा रहा है लेकिन क्या परंपरागत वाहनों को सुधारने वाले अनगिनत मैकेनिक भी इसमें शामिल हैं?
December 3, 2024
पंचायती राज संस्थान जल सुरक्षा को तेजी से सुनिश्चित कर सकते हैं
जल प्रबंधन के स्थायी समाधानों की योजना बनाने और उन्हें सबसे उपयुक्त तरीके से ज़मीन पर लागू करने में स्थानीय सरकारें सबसे कारगर हो सकती हैं।
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