महाराष्ट्र

फोन की स्क्रीन देखता हुआ एक आदमी_नीति-निर्माता समाजसेवी संस्था
August 1, 2023
क्या शिक्षा से जुड़े डेटा केवल नीति निर्माताओं के ही काम आते हैं?
शिक्षा के क्षेत्र में बच्चे के सीखने से जुड़े आंकड़े नीति-निर्माताओं के लिए तो उपयोगी होते हैं पर शिक्षकों के लिये नहीं, क्यों?

आंकड़े इकट्ठा करना और उसका विश्लेषण करना, कार्यक्रम मूल्यांकन और सुधार प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है। उदाहरण के लिए छात्रों के प्रदर्शन, उपस्थिति और सहभागिता से जुड़े आंकड़े जुटाकर और उनका विश्लेषण कर, शिक्षक अपने पढ़ाने के तरीक़ों में बेहतरी ला सकते हैं। उसी तरह प्रशासन एक समेकित आंकड़े का उपयोग – कार्यक्रम के […]

धान की खेत की मेड़ पर चलती एक महिला_महिला भूमि अधिकार
July 19, 2023
पुरुषों का साथ महिलाओं के लिए भूमि अधिकार हासिल करना आसान बना सकता है
महिलाओं को भूमि अधिकार दिलाने के लिए काम कर रही समाजसेवी संस्थाओं के लिए यह स्थापित करना जरूरी है कि लड़ाई पुरुषों से नहीं, पितृसत्ता से है।

भूमि स्वामित्व, महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लेकिन भारत में महिलाओं की भूमि-हीनता पर लिंग आधारित डेटा की कमी है। ऐसे में क्या इस बात पर भरोसा किया जा सकता है कि हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 जैसे प्रगतिशील कानूनों के चलते देश में भूमि के संयुक्त स्वामित्व में वृद्धि हुई है। […]

हलीमा अंसारी | 5 मिनट लंबा लेख
सामुदायिक किचन में खाना बनाती महिला_आदिवासी खाना
March 27, 2023
चार जनजातियां, चार व्यंजन और परंपरागत खानपान पर ज्ञान की चार बातें
चार जनजातियों के रसोइये अपने व्यंजनों के साथ अपनी खाद्य संस्कृति पर आए खतरों पर चर्चा कर रहे हैं क्योंकि जंगलों के खत्म होने के साथ उनके समुदाय आजीविका के लिए संघर्ष करते हुए शहरों का रुख करने लगे हैं।

भारत के तमाम समुदायों में, लगभग 6,000 क़िस्मों के चावल, 500 से अधिक तरह के अनाज और सैकड़ों प्रकार की सब्ज़ियां और जड़ी-बूटियां उगाई और खपत की जाती हैं। इतना ही नहीं। देसी खाने के स्वाद में लगातार हो रही यह बढ़त यहां के लोगों की विविध और समय के साथ बदल रही खाने पकाने की […]

देबोजीत दत्ता | 8 मिनट लंबा लेख
भाग्यश्री बाइक पर आदिवासी लोगों से बात कर रही है_आदिवासी
February 15, 2023
गढ़चिरौली की एक युवा-आदिवासी सरपंच जो न नक्सलियों से डरती है, न पुलिस से
एक युवा-आदिवासी महिला सरपंच के जीवन का एक दिन जो अपने समुदाय को कागजी कार्रवाई करने से लेकर आपात परिस्थितियों में मदद पहुंचाने तक का काम करती है।

मैं एक आदिवासी महिला हूं और बीते तीन सालों से महाराष्ट्र के भाम्रागढ़ तहसील में सरपंच के पद पर हूं। महज़ 23 साल की उम्र और महिला होने के चलते नक्सल प्रभावित क्षेत्र, गढ़चिरौली जिले के नौ गांवों की जिम्मेदारी मेरे काम को चुनौतीपूर्ण बनाती है। लेकिन जो बात इसे सार्थक बनाती है, वह यह है […]

साड़ी पहने तीन महिलाएं मुस्कुरा रही हैं और एक दूसरे से बात कर रही हैं-NGO
January 18, 2023
भारत और अफ़्रीका में कैसे समाजसेवी संगठन समुदाय संचालित परिवर्तन को बढ़ावा दे रहे हैं
वैश्विक समाजसेवी संस्था, ब्रिजस्पैन द्वारा जारी एक रिपोर्ट का सारांश जिसमें समुदाय संचालित परिवर्तन (कम्युनिटी ड्रिवेन चेंज) के कुछ सफल उदाहरणों पर बात की गई है।

मुंबई में रहने वाले हुसैन खान एक मुस्लिम धार्मिक विद्वान और समाजसेवी हैं। क़रीब एक दशक पहले तक वे महिला मंडल फेडरेशन (एमएमएफ) के मुखर आलोचक थे। एमएमएफ एक ग़ैर-सरकारी संगठन है जो महिलाओं के लिए काम करता है और बीते बीस सालों से इसे वैश्विक प्रतिष्ठा प्राप्त समाजसेवी संस्था ‘कोरो’ का समर्थन हासिल है। […]

ऑस्कर फाउंडेशन में फुटबॉल खेलती दो लड़कियां_लैंगिक भेदभाव
December 21, 2022
एक खिलाड़ी जो लैंगिक भेदभाव के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई फुटबॉल के मैदान पर लड़ती है
मुंबई की 19 वर्षीय फुटबॉल कोच, नेत्रावती अपने समुदाय में लैंगिक मानदंडों पर जागरूकता फैलाने के लिए खेल का इस्तेमाल करती है और लड़कियों को खेलने के लिए प्रोत्साहित करती है।

मेरा नाम नेत्रा है और मैं 19 साल की हूं। मैं एक फ़ुटबॉल खिलाड़ी और कोच हूं। मैं अपना ज़्यादातर समय अपने समुदाय के किशोर लड़कों और लड़कियों के प्रशिक्षण में लगाती हूं। ऐसा करते हुए मैं उनसे लैंगिक मानदंडों और स्टीरियोटाइप्स के बारे में बातचीत करती हूं। इस बातचीत के लिए मैं खेल को […]

नेत्रावती | 6 मिनट लंबा लेख