आंकड़े इकट्ठा करना और उसका विश्लेषण करना, कार्यक्रम मूल्यांकन और सुधार प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है। उदाहरण के लिए छात्रों के प्रदर्शन, उपस्थिति और सहभागिता से जुड़े आंकड़े जुटाकर और उनका विश्लेषण कर, शिक्षक अपने पढ़ाने के तरीक़ों में बेहतरी ला सकते हैं। उसी तरह प्रशासन एक समेकित आंकड़े का उपयोग – कार्यक्रम के […]
भूमि स्वामित्व, महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लेकिन भारत में महिलाओं की भूमि-हीनता पर लिंग आधारित डेटा की कमी है। ऐसे में क्या इस बात पर भरोसा किया जा सकता है कि हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 जैसे प्रगतिशील कानूनों के चलते देश में भूमि के संयुक्त स्वामित्व में वृद्धि हुई है। […]
भारत के तमाम समुदायों में, लगभग 6,000 क़िस्मों के चावल, 500 से अधिक तरह के अनाज और सैकड़ों प्रकार की सब्ज़ियां और जड़ी-बूटियां उगाई और खपत की जाती हैं। इतना ही नहीं। देसी खाने के स्वाद में लगातार हो रही यह बढ़त यहां के लोगों की विविध और समय के साथ बदल रही खाने पकाने की […]
मैं एक आदिवासी महिला हूं और बीते तीन सालों से महाराष्ट्र के भाम्रागढ़ तहसील में सरपंच के पद पर हूं। महज़ 23 साल की उम्र और महिला होने के चलते नक्सल प्रभावित क्षेत्र, गढ़चिरौली जिले के नौ गांवों की जिम्मेदारी मेरे काम को चुनौतीपूर्ण बनाती है। लेकिन जो बात इसे सार्थक बनाती है, वह यह है […]
मुंबई में रहने वाले हुसैन खान एक मुस्लिम धार्मिक विद्वान और समाजसेवी हैं। क़रीब एक दशक पहले तक वे महिला मंडल फेडरेशन (एमएमएफ) के मुखर आलोचक थे। एमएमएफ एक ग़ैर-सरकारी संगठन है जो महिलाओं के लिए काम करता है और बीते बीस सालों से इसे वैश्विक प्रतिष्ठा प्राप्त समाजसेवी संस्था ‘कोरो’ का समर्थन हासिल है। […]
मेरा नाम नेत्रा है और मैं 19 साल की हूं। मैं एक फ़ुटबॉल खिलाड़ी और कोच हूं। मैं अपना ज़्यादातर समय अपने समुदाय के किशोर लड़कों और लड़कियों के प्रशिक्षण में लगाती हूं। ऐसा करते हुए मैं उनसे लैंगिक मानदंडों और स्टीरियोटाइप्स के बारे में बातचीत करती हूं। इस बातचीत के लिए मैं खेल को […]