“हम जवान लोगों को काम पर रखेंगे”

Location Iconदक्षिण पूर्वी दिल्ली ज़िला, दिल्ली,पश्चिम दिल्ली जिला, दिल्ली

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी की रहने वाली नूर जहान साठ साल की हैं। 22 साल पहले वह अपने बेटे को खोने के बाद पश्चिम दिल्ली के विकासपुरी इलाक़े में रहने आ गई। उनका बेटा उनके परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था। अपने नए शहर में उन्हें घरेलू सहायिका के रूप में काम मिल गया जहां उन्हें बर्तन धोने, घर और बाथरूम की साफ़-सफ़ाई का काम करना होता है। ऐसे भी घर थे जहां वह इस शहर में आने के बाद से ही लगातार काम कर रही थीं।

लेकिन मार्च 2020 में कोविड-19 के कारण लगने वाले लॉकडाउन के साथ ही सब कुछ बदलना शुरू हो गया। नूर जहां को उनकी उम्र के कारण काम से निकाल दिया गया। जब वह उस महीने के 15 दिन के अपने काम के बदले एक घर में पैसे लेने गई तो उनके मालिक ने उन्हें घर में घुसने तक नहीं दिया। नूर जहां बताती हैं कि “मैंने वहाँ 20 साल से अधिक समय तक काम किया था लेकिन मेरी उम्र अधिक होने की वजह से उन्होंने मुझे वापस काम पर लौटने से मना कर दिया।” उनका कहना है कि अधिक उम्र के लोगों पर इस वायरस का असर जल्दी होता है और बूढ़े लोगों से यह बीमारी जल्दी और आसानी से फैल सकती है।

जब वह दूसरी जगह काम माँगने गईं तो उन्हें लोगों ने बिना मोलभाव के केवल 1,500 रुपए दिए। ऐसा शायद इसलिए क्योंकि उसी काम के लिए कम उम्र के लोग भी कोशिश कर रहे थे। नूर जहां के पास लगभग दो साल से कोई भी काम नहीं है। 

लॉकडाउन के लगते ही दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के सरिता विहार इलाक़े में एक घर में सालों से काम करने वाली शीला को भी उसके मालिकों ने काम पर आने से मना कर दिया—“उन्होंने मुझसे कहा कि तुम बूढ़ी हो; तुम्हें कोविड-19 हो जाएगा इसलिए तुम काम पर आना बंद कर दो।” सब कुछ ठीक होने के बाद भी शीला को उन लोगों ने काम पर वापस नहीं बुलाया। जबकि उसी घर में खाना बनाने वाली लड़की को फिर से काम पर रख लिया क्योंकि वह उम्र में छोटी थी। शीला को सरिता विहार के ही एक अपार्टमेंट में काम मिल गया था लेकिन खांसी होने के कारण उसे पहले ही दिन काम से निकाल दिया गया। 

जैसा कि आईडीआर को बताया गया।

नूर जहां पश्चिमी दिल्ली में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती है; वह मज़दूर संघों के लिए काम करने वाले एक फ़ेडरेशन दिल्ली श्रमिक संगठन का भी हिस्सा है। शीला भी दक्षिण दिल्ली में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती है। 

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अधिक जानें: जानें कि भारत में घरेलू श्रमिकों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए।


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