2021 में, राजस्थान सरकार ने भरतपुर जिले में बंध बारेठा वन्यजीव अभ्यारण्य (वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी) के कुछ हिस्सों को डिनोटिफाई किया था। इसे लेकर अधिकारियों का कहना था कि अभ्यारण्य के उन हिस्सों (ब्लॉक्स) के वातावरण में गिरावट के कारण यह फैसला लिया गया है।
लेकिन, अब इस क्षेत्र का खनन गुलाबी पत्थरों के लिए किया जा रहा है। ये पत्थर अयोध्या में राम मंदिर के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। अभ्यारण्य में लोगों की ज़मीन चले जाने की भरपाई करने के लिए, आस-पास के जंगली इलाकों, जैसे करौली जिले की मासलपुर तहसील को अभ्यारण्य में ही शामिल कर लिया गया है।
मासलपुर में लगभग 100 गांव हैं, जहां गुर्जर और मीणा जैसे पशुपालक समुदाय रहते हैं। ये समुदाय इन जंगलो का ओरण (पवित्र बाग) की तरह संरक्षण करते रहे हैं। साथ ही, वे अपनी आजीविका के लिए इन जंगलों पर निर्भर हैं।
भरतपुर की स्थिति भी सही नहीं कही जा सकती है। यहां खनन के कारण वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की हालत खराब है। दूसरी तरफ, स्थानीय लोगों को बताया जा रहा है कि खान से उन्हें नौकरियां मिलेंगी। लेकिन वे पूछ रहे हैं कि अगर खान के मालिक और श्रमिक बाहर के हैं तो उन्हें नौकरियां कहां से मिलेंगी?
अमन सिंह राजस्थान में जमीनी स्तर पर काम करने वाले एक समाजसेवी संगठन, कृषि एवं पारिस्थितिकी विकास संस्थान (KRAPAVIS) के संस्थापक हैं।
इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ें।
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