मैं एक टैक्सी ड्राइवर के तौर पर काम करता हूं और उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद जिले में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता हूं। मैं आमतौर पर घर से सुबह 6:30 बजे निकलता हूं और वापस रात 11:00 बजे तक ही पहुंच पाता हूं। मुझे यह काम करते हुए अभी एक साल ही हुआ है और इसके लिए मैंने कर्ज पर एक वैगन-आर गाड़ी भी ख़रीदी है। मेरी ज़्यादातर आमदनी गाड़ी की किश्तें भरने में चली जाती हैं।
औसतन, मैं सर्दियों में रोज़ के 1800 रुपए कमा लेता हूं, लेकिन इस बार की गर्मियों में मेरी आमदनी केवल दिन के 1200 रुपए या उससे भी कम ही रह गई है। कुछ दिन तो केवल 400 रुपए ही बन पाते हैं जिसका मुख्य कारण है गर्मी। गर्मी के कारण हर सवारी के लिए एयर कंडीशनर (एसी) चलाना पड़ता है। सिर्फ सवारी के लिए ही नहीं, अगर मैं एसी ना चलाऊं तो मेरा फ़ोन काफी गर्म हो जाता है और चलना बंद कर देता है। इसके कारण मैं टैक्सी की ऐप को सही समय पर और तरीक़े से नहीं खोल पाता। इससे ट्रिप शुरू करने में देर होती है, यात्री भी नाराज़ होते हैं। फिर नए ट्रिप मिलने में भी मुश्किल होती है।
मैंने अपने फ़ोन को गर्मी से बचाने के लिए फोन के स्टैंड के पीछे एक तौलिया रखता हूं लेकिन इससे ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ा है। इसलिए अब मैं लगातार एसी का इस्तेमाल करता हूं। इसके चलते मुझे हर रोज़ 700 रुपए का सीएनजी गैस सिलेंडर भरवाना पड़ता है।
वैसे तो, मैं घर से खाना ले कर जाता हूं लेकिन खाना ख़राब होने के डर से उसको निकलने के 2-3 घंटे बाद ही खाना पड़ता है। फिर शाम को जब भूख लगती है तो रास्ते से कुछ ख़रीदना पड़ता है।
इन ख़र्चों से मेरी रोज़ की आमदनी पर बहुत बुरा प्रभाव रहा है। गाड़ी की किश्तें भरने के लिए मुझे पिछले कुछ महीनों से दोस्त और परिवार से पैसे भी उधार लेने पड़ रहे हैं।
अर्जुन सिंह एक साल से टैक्सी ड्राईवर का काम कर रहे हैं।
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