जन आधार कार्ड: महिलाओं की शिक्षा में नई बाधा?

Location Iconपाली जिला, राजस्थान
साड़ी से सिर ढकी महिला कागज के एक टुकड़े पर लिख रही है_जन आधार
राजस्थान राज्य मुक्त विद्यालय को कक्षा 10 की परीक्षा के लिए पंजीकरण के लिए जन आधार कार्ड की आवश्यकता है। | चित्र साभार: एजुकेट गर्ल्स

राजस्थान के पाली जिले के ओडो की ढाणी गांव की रहने वाली नीलम* की उम्र 23 साल है। उनकी शादी 17 साल की उम्र में हो गई थी। अपनी शादी में छह साल तक शोषण झेलने के बाद 2022 में उन्होंने अपने पति को तलाक दे दिया। तब से, नीलम अपनी चार साल की बेटी को लेकर अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं।

नीलम आगे पढ़ना चाहती हैं और आर्थिक रूप से सुरक्षित होना चाहती हैं। उनका कहना है कि “मैं 10वीं और 12वीं क्लास की परीक्षा पास करना चाहती हूं। मैंने केवल 8वीं कक्षा तक की ही पढ़ाई की है क्योंकि मेरे गांव के स्कूल में उससे आगे की पढ़ाई नहीं होती है। माध्यमिक प्रमाणपत्र होने पर मैं आंगनवाड़ी कर्मचारी या नरेगा साथी (सुपरवाइज़र) जैसी नौकरियों के लिए आवेदन दे सकती हूं। यहां तक कि किसी स्वयं-सहायता समूह में ख़ज़ांची बनने के लिए भी 10वीं कक्षा के प्रमाणपत्र की ज़रूरत होती है।”

नीलम वर्तमान में एक लर्निंग कैम्प में पढ़ रही हैं और 10वीं की बोर्ड परीक्षा देने के लिए तैयार हैं। हालांकि परीक्षा के लिए पंजीकरण करने की प्रक्रिया एक अलग ही चुनौती – जन आधार कार्ड के साथ आई है।

2019 में राजस्थान सरकार ने जन आधार कार्ड को राज्य द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं के वितरण को सुव्यवस्थित और एकीकृत करने के उद्देश्य के साथ लॉन्च किया था। परिवार की महिला मुखिया के नाम पर पंजीकृत, जन आधार कार्ड परिवार और एक व्यक्ति के लिए एक पहचान दस्तावेज के रूप में भी कार्य करता है। 2022 से, राजस्थान राज्य ओपन स्कूल द्वारा प्रशासित 10वीं कक्षा की परीक्षा सहित राज्य सरकार की कई योजनाओं से लाभान्वित होने और कई पंजीकरण प्रक्रियाओं के लिए कार्ड को अनिवार्य बना दिया गया है। हालांकि यह कई लोगों के लिए शिक्षा पाने में बाधा भी बन रहा है, विशेषकर नीलम जैसी तलाकशुदा महिलाओं के लिए जो स्कूल में दोबारा नामांकन करवाकर पढ़ने की कोशिश कर रही हैं। 

शादी हो जाने के बाद परिवार के जन आधार से महिलाओं का नाम हटा दिया जाता है और उनके ससुराल के कार्ड में जोड़ दिया जाता है। तलाक के बाद, उन्हें अपने परिवार के जन आधार पर अपना नाम फिर से दर्ज कराना होगा, जो एक अलग काम है और इसके लिए दर-दर भटकना पड़ता है।

फरज़ाना, लड़कियों को उनकी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने में मदद करने वाली समाजसेवी संगठन एजुकेट गर्ल्स के साथ काम करती हैं। उनका कहना है कि “मैं नीलम के साथ कई बार ग्रामीण स्थानीय सरकारी इकाई यानी कि पंचायत समिति और सब-डिविज़नल मजिस्ट्रेट ऑफिस गई। हमने कई अधिकारियों से उसकी स्थिति के बारे में बातचीत की। हमने सरपंच और पंचायत सचिव से एक-एक आवेदन पत्र भी लिखवाए और उन्हें लेकर तहसीलदार के दफ़्तर गए। तहसीलदार से सत्यापित करवाने के बाद आवेदन दोबारा पंचायत सचिव के पास गया। हमें एक एफ़िडेविट जमा करवाना था जिस पर यह लिखा होना था कि नीलम की शादी के बाद उसका नाम परिवार के जन आधार कार्ड से हटवा दिया गया था लेकिन चूंकि अब वह अपने माता-पिता के साथ ही रहती है तो उसका नाम दोबारा जोड़ा जाए।”

एक महीने तक तमाम सरकारी दफ़्तरों में जाने और कर्मचारियों से मिलने के बाद हम आखिरकार नीलम का नाम उसके परिवार के जन आधार कार्ड में जुड़वाने में सफल हुए। लेकिन तब तक राजस्थान राज्य मुक्त विद्यालय में पंजीकरण की समयसीमा वर्तमान सत्र के लिए खत्म हो चुकी थी और अब यह 2023 के जून महीने में दोबारा खुलेगी। इसका मतलब यह है कि नीलम अपनी परीक्षा 2024 के अप्रैल में ही दे पाएगी।

*गोपनीयता के लिए नाम बदल दिया गया है।

जैसा कि आईडीआर को बताया गया।

फरज़ाना एजुकेट गर्ल्स के साथ मिलकर महिलाओं की शिक्षा के लिए काम करती हैं; नीलम एजुकेट गर्ल्स द्वारा आयोजित लर्निंग कैंप में पढ़ रही हैं।

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अधिक करें: फरज़ाना के काम के बारे में विस्तार से जानने और उन्हें अपना सहयोग देने के लिए उनसे [email protected] पर सम्पर्क करें।

 


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