एक दिन की छुट्टी के कारण काम से छुट्टी

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लॉकडाउन के दिनों में खोई हुई सभी नौकरियाँ वापस नहीं लौटी हैं। लॉकडाउन के दौरान और बाद में उत्तर और दक्षिण भारत में उद्योगों में अनौपचारिक और पंजीकृत श्रमिकों के साथ ग्राम वाणी ने काम किया। इससे हम ने जाना कि काम पर वापस लौटने वाले लोगों की नौकरियाँ भी स्थाई नहीं हैं। अब उन्हें सप्ताह में कम ही दिनों के लिए काम मिलता है और उनकी नौकरी अनौपचारिक और असुरक्षित रोज़गार की श्रेणी में आ गई है। इसके अलावा वे अपने वेतन में होने वाली भारी कटौती से भी जूझ रहे हैं।

आँकड़े बताते हैं कि कम उम्र के श्रमिकों और ख़ासकर औरतों को अपनी नौकरियाँ वापस पाने के लिए ज़्यादा संघर्ष करना पड़ता है।

नियोक्ताओं के लाभ पर केंद्रित श्रम क़ानून की वजह से श्रमिकों के अधिकारों में कमी आती जा रही है। ऐसी स्थिति में मज़दूरों के प्रति अपने दायित्वों की धज्जियाँ उड़ाने वाली कम्पनियाँ अपने बचाव के लिए क्या कर रही हैं? ग्राम वाणी के मोबाइल रेडियो प्लेटफॉर्म ‘मोबाइल वाणी’ का यह ऑडियो कंपनियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति के बारे में बताता है। इन रणनीतियों की मदद से कम्पनियाँ अपने मज़दूरों ख़ासकर महिला मज़दूरों को काम पर रखती हैं और कम्प्लाइयन्स या मुक़दमेबाज़ी से बचती हैं। इसके अलावा कम लोगों को रोज़गार देने या बड़े पैमाने पर की जाने वाली छँटनी के बाद मज़दूरों को किए जाने वाले भुगतान से बचने के लिए भी इनका इस्तेमाल करती हैं।

महिलाओं को एक दिन की छुट्टी लेने जैसे मामूली कारणों से काम से निकाल दिया जाता है; उन्हें सप्ताह में कुछ ही दिनों के लिए काम पर बुलाया जाता है; उन्हें उनके काम की मज़दूरी भी नहीं दी जाती है बल्कि उल्टा उनसे कहा जाता है कि वे 10 दिनों की छुट्टी पर चली जाएँ।

महिलाओं की मज़दूरी पहले से ही पुरुषों से कम है और अक्सर वे इन पैसों का उपयोग घर की ज़रूरी चीजें जैसे बच्चों के स्कूल का सामान, कपड़े और खाने पीने की चीजों को ख़रीदने में करती हैं। खंडित और असुरक्षित रोज़गार महिलाओं के काम और उनपर और उनके घर पर पड़ने वाले इसके सकारात्मक प्रभाव को अदृश्यता की ओर धकेलता है।

ग्राम वाणी एक सामाजिक तकनीकी कम्पनी है जो समुदायों को उनकी आवाज़ में ही अपनी कहानी कहने और लोगों से साझा करने के लिए तैयार करती है। श्वेता ग्राम वाणी में कंटेंट और फ़ील्ड मैनेजर हैं।

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अधिक जानें: उन तरीक़ों के बारे में पढ़ें जिनका उपयोग सरकार और बैंक अनौपचारिक क्षेत्र के मज़दूरों को कोविड-19 से पैदा हुए आर्थिक संकट से निबटने में मदद के लिए कर सकते हैं।

अधिक करें: उनके काम को समझने और उनका समर्थन करने के लिए लेखक से [email protected] पर सम्पर्क करें।


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