July 15, 2024

फोटो निबंध: नानकमत्ता के मौसमी मछुआरे

हवा के टकराने से टूटती अस्थायी झोपड़ियों में रहने से लेकर मच्छरों से जूझने तक, उत्तराखंड के नानकसागर बांध पर डेरा डाले एक मौसमी मछुआरे का जीवन कठिन है। लेकिन चुनौतियों के साथ कुछ ईनाम भी मिलते हैं।
5 मिनट लंबा लेख

प्रदीप साना (45) अपने 20 मछुआरे दोस्तों के साथ, हर साल गर्मियों में उत्तराखंड के नानकसागर बांध के पास सूखी जमीन पर मछली पकड़ने के लिए नानकमत्ता आते हैं। प्रदीप कहते हैं – “मैं अपने घर से 30 किलोमीटर दूर सिर्फ़ मछली पकड़ने आया हूँ। यहां बहुत सारे मच्छरों के बीच और बिना रोशनी या बिजली के रहना बहुत मुश्किल है। हमें रात में रोशनी के लिए अपनी बाइक की बैटरी का इस्तेमाल करना पड़ता है।”

तालाब किनारे कुछ लोग_प्रवासी मछुआरे
ये झोपड़ियां तेज़ हवा और बारिश से सुरक्षित नहीं रहती हैं। | चित्र साभार: विलेज स्क्वायर

वे अपनी अस्थाई झोंपड़ियां बनाने के लिए, बांध के आस-पास से बांस, लकड़ी और पुआल इकट्ठा करते हैं। इसे बनाने में उन्हें सिर्फ़ एक दिन लगता है, लेकिन ये झोपड़ियां तेज़ हवा और बारिश से सुरक्षित नहीं रहती हैं।

मछली पकड़ते कुछ लोग_प्रवासी मछुआरे
पानी में मिट्टी बांध बनाकर मछली पकड़ने एक तरीका है जो छोटी मछलियों को पकड़ने मे उपयोगी है। | चित्र साभार: विलेज स्क्वायर

प्रवासी मछुआरे ज्यादा से ज्यादा मछलियां पकड़ने के लिए, विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं – जलाशयों में बड़े जाल लगाने से लेकर, उन क्षेत्रों में बांध बनाने तक जहां पानी की गति तेज़ होती है, जो छोटी मछलियों को पकड़ने के लिए उपयोगी होती है।

मछली पकड़ते लोग_प्रवासी मछुआरे
एक तरफ पानी छोड़ा जाता है, जिससे मछलियां रह गए कीचड़ में फंस जाती हैं और इसलिए उन्हें पकड़ना ज्यादा आसान होता है। | चित्र साभार: विलेज स्क्वायर

मछली पकड़ने में मदद के लिए यांत्रिक उपकरणों का उपयोग सबसे प्रभावी है। जनरेटर के साथ, एक तरफ पानी छोड़ा जाता है, जिससे मछलियां रह गए कीचड़ में फंस जाती हैं और इसलिए उन्हें पकड़ना ज्यादा आसान होता है। इससे उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा मछलियां पकड़ने और ज्यादा कमाई करने में मदद मिलती है।

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पकड़ी हुई मछलियां_प्रवासी मछुआरे
हमारा जीवन संघर्ष से भरा है। यहां आते ही, हमें जनरेटर, ईंधन, जाल और अन्य जरूरी चीजों पर 70-80 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। | चित्र साभार: विलेज स्क्वायर

प्रदीप कहते हैं – “हमारा जीवन संघर्ष से भरा है। यहां आते ही, हमें जनरेटर, ईंधन, जाल और अन्य जरूरी चीजों पर 70-80 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। और फिर हमारा ठेकेदार कभी-कभी 10 से 15 दिन बाद तक भुगतान नहीं करता है।”

जाल से मछली बीनते लोग_प्रवासी मछुआरे
मौसमी मछली पकड़ने के इस काम में जीवन कठिन है। | चित्र साभार: विलेज स्क्वायर

मौसमी मछली पकड़ने के इस काम में जीवन कठिन है। लेकिन पुरुषों को रोमांच और उपलब्धि का अहसास भी होता है, क्योंकि वे अपने परिवार के लिए आजीविका कमाते हैं। प्रदीप कहते हैं – “मछलियां हर जगह हैं, लेकिन नानकमत्ता में हमें जो मज़ा आता है, वह कुछ और ही है।”

यह लेख मूलरूप से विलेज स्क्वायर पर प्रकाशित हुआ था।

लेखक के बारे में
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प्रकाश चंद

प्रकाश चंद नानकमत्ता पब्लिक स्कूल (उत्तराखंड) में ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ते हैं।

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