विविधता

July 18, 2024
सरल कोश: एलजीबीटीक्यूआईए+
अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश - विकास सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले कठिन शब्दों की सरल व्याख्या।
तार्शी | 2 मिनट लंबा लेख
June 20, 2024
यौन पहचान, स्वास्थ्य और अधिकारों से जुड़े 50 शब्द
यौन और प्रजनन स्वास्थ्य तथा अधिकारों के विभिन्न पहलुओं से संबंधित 50 शब्द, जो भारतीय और दक्षिण एशियाई संदर्भ के लिए प्रासंगिक हैं, नीचे दिए गए हैं।
तार्शी | 11 मिनट लंबा लेख
May 15, 2024
भारत के विकलांगता कानून की एक झलक
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 विकलांग व्यक्तियों के लिए शिक्षा और रोजगार से लेकर स्वास्थ्य तक के अधिकार देता है।
April 15, 2024
स्पीति अपनी परंपरागत वास्तुकला को क्यों छोड़ रहा है?
स्पीति ज़िले के परंपरागत लकड़ी शिल्पकार से जानिए कि कैसे बदलती खेती, बढ़ते पर्यटन और शहरीकरण ने इलाके में सामुदायिक जीवन और परंपरागत वास्तुकला को बदल दिया है।
October 18, 2023
भारत में विकलांगता पेंशन योजना की असफलता के कारण क्या हैं?
भारत में विकलांगता पेंशन योजना के असफल होने की वजह कम आर्थिक मदद, सख्त नियम और अलगाव करने वाले पात्रता मानदंड हैं, इन्हें कैसे बदला जा सकता है?
रिद्धि लखियानी | 10 मिनट लंबा लेख
May 4, 2023
मुख्यधारा के मीडिया से भारत के आदिवासी समुदाय गायब हैं
शिखा मंडी संथाली भाषा में काम करने वाली भारत की पहली रेडियो जॉकी हैं और यहां वे जनजातीय समुदायों के मीडिया प्रतिनिधित्व और उसके असर पर बात कर रही हैं।
शिखा मंडी | 5 मिनट लंबा लेख
May 3, 2023
बैंक महिलाओं के वित्तीय समावेशन को कैसे संभव बना सकते हैं
पीएमजेडीवाय जैसी योजनाओं का लाभ उठाने के बावजूद निम्न आयवर्ग वाले घरों की महिलाएं बचत के लिए बैंकों के इस्तेमाल से क्यों झिझकती हैं और उनके नज़रिए को कैसे बदला जा सकता है?
कल्पना अजयन | 7 मिनट लंबा लेख
April 12, 2023
एक आदिवासी पत्रकार जो अनकही कहानियां कहने के लिए न्यूज़रूम छोड़ यूट्यूब पर आ गई
गुजरात की महिला पत्रकार यूट्यूब रिपोर्टिंग का इस्तेमाल, अनुसूचित जनजाति समुदायों को जागरुक करने और उनसे जुड़ी खबरें दुनिया तक पहुंचाने के लिए कर रही हैं।
सेजल राठवा | 8 मिनट लंबा लेख
March 27, 2023
चार जनजातियां, चार व्यंजन और परंपरागत खानपान पर ज्ञान की चार बातें
चार जनजातियों के रसोइये अपने व्यंजनों के साथ अपनी खाद्य संस्कृति पर आए खतरों पर चर्चा कर रहे हैं क्योंकि जंगलों के खत्म होने के साथ उनके समुदाय आजीविका के लिए संघर्ष करते हुए शहरों का रुख करने लगे हैं।
देबोजीत दत्ता | 8 मिनट लंबा लेख
November 16, 2022
भारत में पिछड़े समुदायों और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के बीच की दूरी कम क्यों नहीं हो रही है?
भारत में थैरेपिस्ट अक्सर मानसिक स्वास्थ्य में मदद चाहने वालों को अपने सामाजिक तबके से अलग मानते हैं। एक अध्ययन बताता है कि क्यों यह नजरिया कारगर नहीं है और इसे सही करने के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं।
अनुग्रह रमन | 9 मिनट लंबा लेख
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