December 4, 2024

देश में शीत लहरों की संख्या क्यों बढ़ रही है?

शोध बताते हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में साल 1982 से 2020 के बीच शीत लहरों की संख्या पांच गुना बढ़ गई है और इससे सबसे अधिक प्रभावित उत्तर भारतीय राज्य होते हैं।
2 मिनट लंबा लेख

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) ने जनवरी 2024 में एक रिपोर्ट जारी की थी। ये रिपोर्ट बताती है कि भारत में साल 1982 से 2020 के बीच शीत लहरों की संख्या 506% यानी पांच गुनी बढ़ गई है। अब भारत को लगभग हर साल ही भयंकर शीत लहरों का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) की एक रिपोर्ट के अनुसार शीत लहर को आम भाषा में अत्यधिक ठंड और जिद्दी तापमान कहा सकता है। किसी इलाके में शीत लहर का असर तब माना जाता है जब मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होता है। वहीं, पहाड़ी क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा 0 डिग्री सेल्सियस या उससे कम होता है।

भारत में शीत लहरें आमतौर पर नवंबर से फरवरी महीनों के बीच होती हैं। वहीं, जनवरी के महीने में यह अपने चरम पर होती है। इस दौरान 3-5 दिनों के लिए न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस या उससे भी नीचे गिर जाता है। भारत में शीत लहर से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले राज्य पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और जम्मू और कश्मीर हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार शीत लहरें हमारे लिए तब ज़्यादा खतरनाक हो जाती हैं जब वे बेहद तीव्र हों और उनकी संख्या लगातार बढ़ती रहे।

आइये, इस वीडियो में जानते हैं कि शीत लहरें क्या हैं और यह लोगों के जीवन को किस तरह प्रभावित करती हैं?

इस वीडियो में इस्तेमाल किये गए चित्र सुगम ठाकुर द्वारा बनाए गए हैं।

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लेखक के बारे में
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रजिका सेठ

रजिका सेठ आईडीआर हिंदी की प्रमुख हैं, जहां वह रणनीति, संपादकीय निर्देशन और विकास का नेतृत्व सम्भालती हैं। राजिका के पास शासन, युवा विकास, शिक्षा, नागरिक-राज्य जुड़ाव और लिंग जैसे क्षेत्रों में काम करने का 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्होंने रणनीति प्रशिक्षण और सुविधा, कार्यक्रम डिजाइन और अनुसंधान के क्षेत्रों में टीमों का प्रबंधन और नेतृत्व किया। इससे पहले, रजिका, अकाउंटेबिलिटी इनिशिएटिव, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में क्षमता निर्माण कार्य का निर्माण और नेतृत्व कर चुकी हैं। रजिका ने टीच फॉर इंडिया, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी और सीआरईए के साथ भी काम किया है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में बीए और आईडीएस, ससेक्स यूनिवर्सिटी से डेवलपमेंट स्टडीज़ में एमए किया है।

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सलोनी सिसोदिया

सलोनी सिसोदिया आईडीआर में मल्टीमीडिया एनालिस्ट हैं। इससे पहले उन्होंने फेमिनिज़म इन इंडिया के साथ सीनियर डिजिटल एडिटर के रूप में भी काम किया है तथा जेंडर, कल्चर, समाज और सिनेमा जैसे विषयों पर मुख्य तौर पर अनुभव रखती हैं। सलोनी ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपनी पढ़ाई की है। वह फोटो निबंध, फोटोग्राफी और ट्रेवल करने में ख़ास रूचि रखती हैं।

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श्रेया अधिकारी

श्रेया अधिकारी, आईडीआर के क्लाइमेट वर्टिकल की प्रमुख हैं। वे जलवायु से संबंधित कम प्रतिनिधित्व वाली आवाज़ों और कहानियों को सामने लाने का काम करती हैं। इसके साथ ही, वे आईडीआर पर पॉडकास्ट से जुड़ी जिम्मेदारियां भी देखती हैं। आईडीआर से जुड़ने से पहले श्रेया ने भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई कला और सांस्कृतिक उत्सवों जैसे जयपुर लिट्रेचर फ़ेस्टिवल का आयोजन भी किया है। वे टेरा.डू फेलो हैं और उन्होंने अपना पोस्ट ग्रैजुएशन ज़ेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन से किया है।

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