किसी कार्यक्रम के चलते रहने के लिए प्रभावी फंडरेजिंग जरूरी है। एक सामाजिक उद्यमी होने के नाते, हमें इसे हासिल करने वाले कौशल में निपुण होना पड़ता है। इससे हम फंड की कमी से होने वाली समस्याओं से बच सकते हैं और अपना काम जारी रख सकते हैं।
हालांकि अपने अनुभवों से मैंने यही सीखा है कि इसका कोई एक तय तरीका नहीं होता है। लेकिन मैं यह भी जानती हूं कि ऐसे कई कदम हैं जिनका इस्तेमाल करने से सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। यह बात किसी भी आकार के संगठन पर समान रूप से लागू होती है।
1. छोटे स्तर से शुरू करें, फिर आगे बढ़ें
एक समाजसेवी संस्था होने के नाते, जब बात हमारे किसी कार्यक्रम की आती है तब हम हर तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। फिर फंडरेजिंग के लिए भी हमें यही नज़रिया क्यों नहीं अपनाना चाहिए?
फंडरेजिंग रिश्ते बनाना है
फंडरेजिंग पूरी तरह से इस बारे में है कि आप और आपके फंडर के बीच कैसे संबंध हैं। यानी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि धन लेने से पहले और धन लेने के बाद यह संबंध कितना बदलता है। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी से पहली मुलाक़ात में ही फंड की मांग नहीं करनी चाहिए। इसकी बजाय आप लोगों से मार्केटिंग, मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) या तकनीक से जुड़ी मदद मांग सकते हैं। बाद में, जब वे आपकी यात्रा का हिस्सा बन जाएं और आपसे या आपके संगठन के नाम से जुड़ने की इच्छा जताएं, तब आप इसकी पहल कर सकते हैं। आप उनसे यह पूछ सकते हैं कि “क्या आप वित्तीय मदद करने वाले किसी व्यक्ति या संगठन को जानते हैं?” ऐसे में वे खुशी-खुशी आपसे यह जानकारी साझा करेंगे।
हम बहुत ही जल्दी पैसे की मांग कर लेते हैं। मेरा अनुभव कहता है कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए।
एक बार जब आपको उनका सहयोग हासिल हो जाए तो आपको उन्हें अपने सह-यात्री के रूप में देखना चाहिए, न कि एक बाहरी व्यक्ति या संगठन के रूप में। आपको उनके साथ ऐसा संबंध स्थापित करना है जिसमें आप किसी भी कामकाजी या रणनीतिक चुनौती के बारे में उनसे मुक्त भाव से बात कर सकें और उनकी राय हासिल कर सकें।
धैर्य रखें और लगे रहें
सितम्बर 2015 में मैं एक कॉरपोरेट के साथ मीटिंग करने की कोशिश कर रही थी जिसकी सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) रणनीति अर्पण के उद्देश्यों के साथ मेल खाती थी। मैंने एक मिड-लेवल के व्यक्ति से मुलाक़ात की जिसने मेरा परिचय सीएसआर में उसके साथी से करवाया। मैं इन-पर्सन मीटिंग करने की कोशिश कर रही थी लेकिन उनका लगातार यही कहना था कि “नहीं, हमारे पास पर्याप्त पैसे नहीं है”, “हम आपसे सम्पर्क करेंगे।” मैंने उनकी बात सुनी और लगभग चार सप्ताह बाद उनसे फिर सम्पर्क किया। फिर दो महीने बाद और फिर ऐसे ही थोड़े-थोड़े समय अंतराल पर मैं उनसे लगातार सम्पर्क करती रही। मैंने 2015 का अपना पूरा साल और 2016 का अपना ज़्यादातर समय इसी काम में लगाया।
2016 में मैं अपने एक मेंटॉर से मिली। मैंने उन्हें बताया कि मैं एक मीटिंग करने का प्रयास कर रही हूं लेकिन मुझे अब तक इसमें सफलता नहीं मिली है। उन्होंने एक कॉल किया और उसके एक महीने के भीतर ही, दिसंबर 2016 में मीटिंग हो गई। 2017 के मार्च में हमें फ़ंडिंग भी मिल गई। इस काम में दो साल का समय और बहुत सारा धीरज लगा। 2015 में हमने उनसे पहली बार सम्पर्क किया, 2016 के दिसंबर में मीटिंग हुई और अंत में 2017 के मार्च में फंड मिला।
अपनी रणनीति को लेकर गम्भीर रहें
सफलता, आंकड़ों से भी उतनी ही संबंधित होती है जितनी रिश्तों से। इसके लिए आपको अपनी सेल्स प्रोसेस यानी प्रस्ताव की प्रक्रिया और रूपांतरण अनुपात दोनों पर ही ध्यान देना होगा। रूपांतरण से यहां मतलब किसी प्रस्ताव के फ़ंडिंग हासिल करने वाले नतीजों में बदलने से है। आपको यह ध्यान रखना होगा कि आपको कितने लोगों से मिलना चाहिए और कितने प्रस्ताव, असल फ़ंडिंग में बदल सकेंगे।
सफलता आंकड़ों और रिश्तों दोनों से जुड़ी होती है।
उदाहरण के लिए 2016-17 में हम लोगों ने 88 प्रस्तावों पर बातचीत से शुरू किया था। उनमें से छत्तीस असफल रहे। अभी हमारे पास ‘फ़नल’ में 34 लाइव संवाद हैं यानी वे बातचीत जो चल रही हैं, अन्य 13 प्रस्ताव के स्तर पर हैं और पांच रूपांतरण के करीब हैं।
फनल जितना अधिक व्यापक होगा सफलता की संभावना उतनी ही मजबूत होगी। बहुत सारे लोग बाहर हो जाएंगे और इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि रूपांतरण की समय-सीमा लगभग नौ महीने से एक साल होता है। इसका कोई छोटा रास्ता या शॉर्टकट नहीं है।
शुरुआत में बड़ी राशियों पर ध्यान दें
मैंने पाया है कि खुदरा या छोटे अनुदानों (एकाधिक दाताओं से 1,000 रुपये) की तुलना में थोक अनुदान (5 लाख रूपये से अधिक की राशि) प्राप्त करना अधिक आसान होता है। खुदरा अनुदान आकर्षक तो हो सकते हैं लेकिन इन पर बाद में ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि शुरुआती वर्षों में आपके पास समय की कमी हो सकती है। साथ ही, आपके पास फ़ंडरों का एक छोटा-मोटा समूह होना चाहिए ताकि किसी एक फ़ंडर के चले जाने से आपके संगठन को किसी प्रकार की चुनौती का सामना न करना पड़े।
2. नए रिश्ते बनाएं
अपना नेटवर्क बनाएं और आपकी सिफ़ारिश करने वालों को खोजें
फ़ंडरेज़िंग के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, ताकि लगातार आपकी उपस्थिति बनी रहे और ज़्यादा से ज़्यादा मीटिंग करने की कोशिश की जा सके। मेरा अनुभव कहता है यदि आप अपना सारा समय पैसे की चिंता करने में लगाते हैं और इसके लिए जरूरी काम नहीं करते हैं तो आपके पास कभी पैसा नहीं आने वाला है। किसी प्रभावशाली व्यक्ति द्वारा आपकी सिफारिश किया जाना, आधी लड़ाई जीत लेने जैसा है। जब अर्पण, गोल्डमैन सैक्स के चेयरपर्सन की सिफारिश के साथ बैठक में जाता है तो उसे गंभीरता से लिया जाता है। उन लोगों से सम्पर्क बनाएं जो आपके लिए नए दरवाज़े खोलने में मददगार साबित होंगे। मुझे किसी ख़ास परिचय और सिफ़ारिश के बग़ैर, एक लाख रुपए से अधिक का एक भी अनुदान आज तक नहीं मिल पाया है।
कॉर्पोरेट साइकल से जुड़कर काम करें
एक सेल्स साइकल में पहली मीटिंग से फंड मिलने तक अमूमन 6 से 9 महीने तक का समय लगता है। इस प्रक्रिया को तेज करने वाला कारक आपकी टाइमिंग होती है। सभी प्रकार के सीएसआर प्रस्तावों को कार्यसमिति की बोर्ड बैठक में मंज़ूरी मिलती है। इसलिए विभिन्न कॉरपोरेट्स के लिए समय-सीमा और प्रणालियों के बारे में जानना महत्वपूर्ण है। कम्पनियां सीएसआर पर चर्चा करने के लिए तिमाही या छमाही बैठकें भी करती हैं। यदि उनकी छमाही बैठक कुछ दिनों पहले ही ख़त्म हुई है तो ऐसा संभव है कि आपके प्रस्ताव पर अगले छः महीने तक किसी तरह की चर्चा न हो।
उन्हें वह बताएं जो वे जानना चाहते हैं, न कि वह जो आप कहना चाहते हैं
आमतौर पर उद्यमी या कॉर्पोरेट क्षेत्र के पेशेवर लोग ही आपके डोनर होते हैं। वे संख्याओं और प्रतिशतों के बारे में जानना चाहते हैं और आपको उनकी भाषा में बात करना आना चाहिए। चाहे आप कोई प्रस्ताव लिख रहे हों या किसी मीटिंग में जा रहे हों, आपके लिए यह समझना जरूरी है कि वे वास्तव में क्या जानना चाहते हैं। अक्सर हमारा ध्यान उन बातों पर होता है जो हम कहना चाहते हैं न कि उन बातों पर जो वे जानना चाहते हैं।
अपने कारण को उनका एजेंडा बनाएं
कई बार आपका उद्देश्य आपके फ़ंडर के लिए ‘महत्वपूर्ण’ नहीं होता है। जब हम लोगों ने अर्पण में बाल यौन शोषण के मुद्दे को उठाना शुरू किया, तब यह किसी भी संगठन या कॉर्पोरेट के एजेंडे में शामिल नहीं था। मुझे इसे बदलने और उनके लिए बाल यौन शोषण को एक जरूरी मुद्दा बनाने की जरूरत थी।
कम से कम 12-15 महीने का कैश फ्लो बनाए रखें।
ऐसा करने के लिए मुझे उन्हें इस मुद्दे का महत्व समझाना पड़ा और उन समाधानों को सामने रखना पड़ा जिसे अर्पण ने इस समस्या से निपटने के लिए विकसित किया था। आपको अपने दानदाताओं को बताना पड़ेगा और अपने काम को उनके एजेंडे में शामिल करना होगा। आपके काम और उनकी प्राथमिकताओं के बीच के संबंध को समझना भी मददगार होता है।
नए दानदाताओं से छोटी और पुरानों से बड़ी राशि की मांग करें
सीधे एक बड़ी राशि के बजाय छोटा राशि का अनुदान मांगना हितकर होता है। दानदाताओं को पहली बार छोटे से अनुदान के लिए तैयार करना आसान होता है। जब कोई कॉर्पोरेट साझेदार बन जाता है, तब उनके छोड़ के जाने की संभावना बहुत ही कम हो जाती है। पहले वर्ष में उनके दृष्टिकोण एवं प्रणालियों के बारे में जानने का प्रयास करें, साथ ही यह भी देखें कि क्या यह संबंध आगे भी बना रह सकता है।
यदि यह आपके रणनीतिक उद्देश्यों से मेल नहीं खाता है तो नहीं कहना सीखें
सीमित संसाधनों वाले समाजसेवी संगठन, पैसों के पीछे भाग सकते हैं। जैसे वे इसके लिए अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में जा सकते हैं। लेकिन अपने वास्तविक मूल्यों पर टिके रहना जरूरी होता है। साथ ही, अपनी रणनीतिक दिशा को परिभाषित करना एक ऐसी भूमिका है जिसे बोर्ड के सदस्यों और सलाहकारों को बेहतर ढंग से निभाना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि हमें डोनर के साथ सहमति जतानी पड़ती है। ऐसे मामलों में यह तय कर लेना बेहतर होता है कि ऐसा करने के पीछे एक मज़बूत रणनीतिक कारण मौजूद हो।
3. मौजूदा संबंधों को बनाए रखें
विश्वसनीयता बनाएं
अर्पण के शुरुआती वर्षों में मैंने ग्लोबल फ़ाउंडेशन द्वारा संचालित होने वाले इंडिया एनजीओ पुरस्कार के लिए आवेदन दिया था। हालांकि मैं उनके बारे में पहले से नहीं जानती थी लेकिन मुझे लगा कि एक अंतरराष्ट्रीय इकाई हमें कुछ विश्वसनीयता प्रदान कर सकती है। हमने एक करोड़ रुपए वाली श्रेणी के लिए आवेदन किया और जीत गए। उसके बाद मैंने हमारी इस जीत का उपयोग अपने मौजूदा और नए दानदाताओं के सामने करना शुरू कर दिया। मैं यह जानती थी कि दोनों ही तरह के दानदाता, बाहर से सम्मान हासिल करने वाली संस्था के बारे में आश्वस्त होंगे।
बाहरी सत्यापन महत्वपूर्ण है
इसी प्रकार, आंतरिक एवं बाहरी दोनों तरह की एजेंसी के सत्यापन से मजबूत हुआ एम-एंड-ई (मॉनिटरिंग एंड इवॉल्यूशन) फ़ंडर को इस बात के लिए आश्वस्त करता है कि आपका संगठन नई चीजों को सीखने वाला, विश्वसनीय और बाहरी दुनिया में भी सम्मानित है। एम-एंड-ई आपके संगठन की रणनीतिक दिशा तय करने में मदद करता है और आपके आगे बढ़ने की यात्रा में आपके दानदाताओं को भी साथ लेकर आता है।
4. एक टीम बनाएं
आर्थिक संबंधों को विकसित एवं पोषित करने में बहुत अधिक समय एवं प्रयास की ज़रूरत होती है। अक्सर इस काम के लिए संस्थापक/सीईओ पर अतिरिक्त निर्भरता होती है। फंडरेजिंग से जुड़े प्रयासों में मदद के लिए टीम बनाने का काम शुरू करें। यदि आपके पास सीमित फ़ंडिंग है तो उस स्थिति में लीडर्स की मदद के लिए इंटर्न की नियुक्ति करें। मझले और वरिष्ठ पदों पर कार्यरत कार्यक्रम कर्मचारी प्रस्ताव लिखने में मदद कर सकते हैं। बजट में वृद्धि होने पर किसी एक वरिष्ठ की नियुक्ति के बाद फंडरेजिंग के लिए एक टीम विकसित करें। इसे खर्च की बजाय निवेश की तरह देखें।
इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ें।
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