संतुलित आहार को बढ़ावा देती कोरकू लोगों की पोषण रैली

Location Iconखंडवा ज़िला, मध्य प्रदेश
अनाज वाली पालकी के साथ कोरकू समुदाय की महिलाएं-पोषण कोरकू

सितम्बर 2021 के पहले सप्ताह में मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले में अवलिया गांव की निवासी रेती बाई काम पर जा रही थी। रास्ते में उसकी नज़र अपने ही गांव के ढ़ेर सारे लोगों पर पड़ी जो एक पालकी के साथ-साथ चल रहे थे। कोरकू लोगों के पारंपरिक गीतों और नृत्यों के बाद प्रसाद बांटा गया जैसे कोई त्योहार हो। कोरकू प्रजाति की रेती बाई लगभग 70 साल की एक बुजुर्ग महिला है। उसने अपने समुदाय और गांव में दशकों से होने वाले कई आयोजन और त्योहार देखे हैं लेकिन ऐसा कुछ कभी नहीं देखा था। यह पोषण माह के अंतर्गत आयोजित पोषण रैली था और उस पालकी में स्थानीय लोगों द्वारा उगाए गए जौ, चावल, गेहूं और कई तरह की सब्ज़ियां थीं।

उसने तय किया कि वह भी इस आयोजन में हिस्सा लेना चाहती है।पोषण माह कोई नई अवधारणा नहीं है। भारत भर में आंगनबाड़ी के लोग पिछले कुछ सालों से बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के बीच संतुलित आहार को बढ़ावा देने के लिए इस तरह का आयोजन करते आ रहे हैं। खंडवा में 2021 में होने वाला आयोजन अलग था क्योंकि इसे कोरकू त्योहारों का रूप दिया गया था। इस आयोजन में धार्मिक उत्सव में स्थानीय देवताओं की तरह ही पालकी में पोषक खाद्य पदार्थो को लेकर घूमा जा रहा था। यह उनका आयोजन बन गया। खंडवा में इस कार्यक्रम के आयोजन में मदद करने वाली स्पंदन समाज सेवा समिति की सीईओ और संस्थापक सीमा प्रकाश ने बताया कि इसके पीछे समुदाय के लोगों को उनके आहार से जुड़ी बातचीत में शामिल करने का विचार था।

“अभी तक इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन समुदाय के लोगों के भागीदारी के बिना ही आंगनबाड़ी केंद्रों में सरकार और एनजीओ द्वारा करवाए जाते रहे हैं। इन आयोजनों को लेकर समुदाय के लोगों के बीच यही धारणा थी कि यह सरकार या एनजीओ का आयोजन है।” इस सोच को बदलने के लिए यह फ़ैसला लिया गया कि आयोजन में इस्तेमाल होने वाली अधिकतर सब्ज़ियां और अनाज गांव से ही लिया जाएगा। प्रकाश आगे कहती हैं “हम लोगों को यह भी दिखाना चाहते थे कि एक संतुलित आहार के लिए आवश्यक सभी चीज़ें उनके अपने ही हाथ में, अपने आसपास ही मौजूद है।”

युवा लड़कियों और बच्चों ने चीजों को इकट्ठा करने का काम किया। चावल उगाने वाले लोग चावल लेकर आए, बाजरा उगाने वाले बाजरा और फिर दाल आई, लौकी, अंडे और बाक़ी सब कुछ; केवल सजवन और शलगम बाहर से लाया गया था क्योंकि ये खंडवा में नहीं उगाए जाते हैं। सब कुछ मिलाकर खिचड़ी तैयार हुई जिसे रेती जैसे समुदाय के बुजुर्गों ने पकाया था। इन बुजुर्गों के लिए यह अवसर पोषण से जुड़े अपने ज्ञान को अपनी अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का था। 2021 में पोषण माह के इस स्वरूप को खंडवा के 15–20 गांवों के आंगनबाड़ी केंद्रों में आयोजित किया गया जहां से यह आसपास के गांवों में भी पहुंचा। लेकिन ऐसा अनुमान है कि 2022 में इस उत्सव में 50 से अधिक गांवों के लोग हिस्सा लेंगे।

जैसा कि आईडीआर को बताया गया।

रेती बाई स्पंदन समाज सेवा समिति के साथ अवलिया गांव में जागरूकता पहल पर काम करती हैं; सीमा प्रकाश स्पंदन समाज सेवा समिति की संस्थापक और सीईओ हैं। 

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