भारत

चिमनी से निकलता धुआं_जलवायु परिवर्तन
May 13, 2025
जलवायु चर्चा से जुड़े पांच प्रचलित शब्द और उनके मायने
इस वीडियो में जलवायु संकट के बढ़ते प्रभावों के बीच पांच अहम शब्दों—जलवायु अनुकूलन, शमन, न्याय, हानि व क्षति, और सहनशीलता—को आसान भाषा में समझाया गया है।

पिछले कई वर्षों से जलवायु में लगातार असामान्य और चरम बदलाव देखे जा रहे हैं— जैसे तीव्र गर्मी, अचानक बाढ़ और गंभीर सूखा। ये स्पष्ट संकेत हैं कि धरती पर संकट गहरा रहा है। भारत जैसे देश में, जहां अर्थव्यवस्था बहुत हद तक खेती पर निर्भर करती है, उसके लिए जलवायु परिवर्तन अब एक दूर […]

टेबल पर अखबार का एक ढेर रखा है_संवेदनशील पत्रकारिता
May 12, 2025
विकलांगता पर संवेदनशील पत्रकारिता: एक मार्गदर्शिका
विकलांगता के विषय पर होने वाली रिपोर्टिंग की भाषा में संवेदनशीलता की जरूरत है।

भारत में विकलांगता से जुड़े मुद्दों को मीडिया में अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। सीमित संसाधन, समाचार संस्थाओं की कमी और पर्याप्त संपादकीय सलाह की कमी के चलते यह विषय मुख्यधारा की खबरों में शायद ही कभी जगह बना पाता है। लेकिन भारत में करोड़ों विकलांग व्यक्तियों के लिए निष्पक्ष और सटीक रिपोर्टिंग, सामाजिक बहिष्कार […]

शिवानी जाधव | 7 मिनट लंबा लेख
एक समूह में बैठकर चर्चा करती महिलायें_मानसिक स्वास्थ्य
May 8, 2025
समुदाय से संवेदना तक: मानसिक स्वास्थ्य में भागीदारी का सफर
जब कोई कार्यक्रम किसी लोगों के अनुभवों से मिलकर तैयार किया जाए तो वह अधिक मानवीय, नवीन और समानता आधारित होता है।

नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे 2015-16 के मुताबिक, भारत में हर छठे व्यक्ति को किसी न किसी तरह की मानसिक स्वास्थ्य सहायता की जरूरत है। लेकिन देश में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच अभी भी सहज नहीं है। अलग-अलग मानसिक स्थितियों के लिए यह कमी 70 से 92 प्रतिशत के बीच देखी गई है। मानसिक स्वास्थ्य […]

खेत में काम करती महिलाएं_कॉमन्स
May 7, 2025
आईडीआर से समझिए: सामुदायिक संसाधन या कॉमन्स क्या हैं? 
सामुदायिक संसाधनों के प्रकार, इतिहास, संरक्षण प्रयासों और कानून पर वह सबकुछ जो आपको जानना चाहिए।

कॉमन्स की अवधारणा इस विचार पर आधारित है कि कुछ संसाधन निजी स्वामित्व में नहीं हो सकते हैं। ये संसाधन मानव जीवन, संस्कृति और पारिस्थितिकी तंत्र का आधार होते हैं और इन पर पूरे समुदाय का अधिकार होना चाहिए। जैसे, हवा या समुद्र पर किसी एक व्यक्ति का स्वामित्व नहीं हो सकता है क्योंकि ये […]

बच्चों का समूह—जलवायु संकट
May 5, 2025
अगली पीढ़ी के लिए कठिन वर्तमान और अनिश्चित भविष्य की वजह बनता जलवायु संकट
जानिए क्यों बच्चों की सुरक्षा और बेहतरी भी जलवायु संकट से जुड़ी चर्चाओं का विषय बननी चाहिए।

यूनीसेफ बच्चों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को आंकने के लिए क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स जारी करता है। कुल 163 देशों की इस सूची में भारत 26वें स्थान पर है। एक अनुमान के मुताबिक, हर साल देश के 2.4 करोड़ बच्चे चक्रवात, बाढ़, लू और जलवायु से जुड़ी अन्य आपदाओं से प्रभावित होते हैं। मानव गतिविधियों […]

जननी शेखर | 7 मिनट लंबा लेख
एक फोटो में वेजिटेबल बर्गर और बिना वेजिटेबल बर्गर_प्रेस स्वतंत्रता
May 2, 2025
अखबार और टीवी समाचारों की वे सुर्खियां जो आप तक नहीं पहुंच सकीं 
पत्रकार जो देखते और सोचते हैं, क्या वे उसे जस का तस अपने पाठकों-दर्शकों तक पहुंचा पाते हैं?

हालिया वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत ने 180 देशों में 159वां स्थान पाया है। इस रैंकिंग के चलते, एक बार फिर यह बात चर्चाओं में है कि भारत में पत्रकारिता करना पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल हो गया है। तो, कई बार इस पर भी बहस होती है, “भारत जैसे बड़े लोकतंत्र को भला […]

सरल कोश में फिलान्थ्रॉपी की फीचर इमेज_फिलान्थ्रॉपी
May 1, 2025
सरल कोश: फिलान्थ्रॉपी
अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश: विकास सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले कठिन शब्दों की सरल व्याख्या - फिलान्थ्रॉपी।

विकास सेक्टर में तमाम प्रक्रियाओं और घटनाओं को बताने के लिए एक खास तरह की शब्दावली का इस्तेमाल किया जाता है। आपने भी ऐसे कुछ शब्दों और उनके इस्तेमाल को लेकर असमंजस का सामना भी किया होगा। इसी असमंजस को दूर करने के लिए हम एक ऑडियो सीरीज ‘सरल-कोश’ लेकर आए हैं, जिसमें हम आपके […]

चश्मे के साथ रखी खुली हुई किताब—दलित साहित्य
April 29, 2025
जातिवाद के आईने में समाज: दलित साहित्य की पांच जरूरी किताबें 
दलित साहित्य पढ़कर हम समझ पाते हैं कि जातिवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं और इसके उन्मूलन के लिए किस प्रकार के सामाजिक और मानसिक परिवर्तनों की जरूरत है।

साहित्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज का दर्पण भी है। भारतीय समाज में जातिवाद और सामाजिक भेदभाव को समझने के लिए साहित्य एक संवेदनशील और प्रभावशाली माध्यम बन सकता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो सामाजिक और विकास क्षेत्र में कार्यरत हैं। अगर आप विकास क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से […]

Load More