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September 18, 2024
विकास सेक्टर में साथ मिलकर काम करना इतना मुश्किल क्यों है?
विकास सेक्टर में समस्याओं की जटिलता और पैमाना इतना बड़ा है कि कोई एक अकेला व्यक्ति या संगठन सब कुछ हल नहीं कर सकता है, जो सहयोग की उपयोगिता और महत्व को बताता है।
September 17, 2024
फाइटोप्लैंक्टन क्या हैं और हमें इन पर क्यों बात करनी चाहिए?
धरती पर ऑक्सीजन-कार्बन डाइआक्साइड का संतुलन बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदार फाइटोप्लैंक्टन की संख्या दिनों-दिन घटती जा रही है, अगर ऐसा ही रहा तो हमारा भविष्य कैसा दिखेगा?
by आशिका शिवांगी सिंह| 7 मिनट लंबा लेख
September 16, 2024
पानी से जुड़े साझा प्रयासों की दिशा कैसे तय की जा सकती है?
अलग-अलग योग्यता वाले कई हितधारकों का सहयोग कार्यक्रमों को लंबे समय तक प्रभावी बनाएं रखने के लिए जरूरी है। जैसे एचयूएफ ने एक तरह का सहयोगात्मक संघ बनाया है। इसमें भागीदार के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय परियोजना ट्रस्ट केंद्र (सीआईपीटी) पंजाब, किसान सहकारी समितियां, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के अकादमिक विशेषज्ञ और सरकार सभी शामिल हैं।
by अनंतिका सिंह, रीशू गर्ग| 8 मिनट लंबा लेख
September 13, 2024
एक बार फील्ड में: जब शुद्ध हिंदी बोलने के चक्कर में गड़बड़ हो गई
जमीनी कार्यकर्ताओं को समुदाय के साथ हिंदी में ही बात करने की समझाइश दी जाती है, इसी कोशिश के चलते हुई गड़बड़ी का एक दिलचस्प किस्सा।
September 12, 2024
“मेरी एक गलती या देरी लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित कर सकती है”
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ की एक आशा सहयोगिनी के दिन का हाल जो स्वास्थ्य के साथ-साथ शराबबंदी, घरेलू हिंसा, भ्रष्टाचार जैसे तमाम मामलों पर अपनी आवाज बुलंद करने लगी है।
by संतोष चारण| 5 मिनट लंबा लेख
September 11, 2024
शहर और गांव की पहचान क्या है और इसे कैसे तय किया जाना चाहिए?
शहरी अध्ययन पर शोध और विमर्श रखने वाले अकादमिक व्यक्तित्व, गौतम भान से द थर्ड आई की बातचीत के कुछ अंश।
by शबानी हसनवालिया| 9 मिनट लंबा लेख
September 10, 2024
आईडीआर इंटरव्यूज | दयामनी बरला
झारखंड की आदिवासी कार्यकर्ता एवं पत्रकार दयामनी बरला बताती हैं कि कैसे वे जल, जंगल और जमीन से जुड़े आंदोलनों के जरिए लोगों को उनका हक दिलाने के लिए निरंतर संघर्ष करती रही हैं।
September 6, 2024
जब एक इंजीनियर विकास सेक्टर में काम करने आता है!
इंजीनियरिंग की पढ़ाई किए हुए लोग और उनके किस्से हर जगह मिल जाएंगे। विकास सेक्टर भी उनसे अछूता नहीं है। आइए, एक नज़र डालते हैं।
September 3, 2024
आईडीआर इंटरव्यूज | मधु मंसूरी हंसमुख
पद्मश्री सम्मान से नवाजे जा चुके लोकगीत कलाकार मधु मंसूरी हंसमुख ने आईडीआर के साथ अपनी बातचीत में बताया कि कैसे छोटी सी उम्र से ही इन्होंने लोकगीत को अपना हथियार बनाकर झारखंड आंदोलन को एक नई दिशा और चेतना प्रदान की।
September 2, 2024
भारत में जनसंख्या वृद्धि से जुड़े मिथकों से मुक़ाबला कैसे करें?
हाल ही में भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया। इसने एक व्यापक और गलत धारणा को जन्म दिया है कि भारत की आबादी, संसाधनों की कमी से लेकर जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर वैश्विक मुद्दों की जड़ है।
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