दीपा पवार

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दीपा पवार एक एनटी-डीएनटी एक्टिविस्ट, शोधकर्ता, लेखिका, ट्रेनर और काउंसलर हैं। दीपा घिसाड़ी घुमंतू समुदाय से आती हैं और प्रवास, अपराधीकरण और सामाजिक असुरक्षा जैसे अनुभव उनके जीवन का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने ‘अनुभूति’ की स्थापना की है जो जाति-विरोधी और नारीवाद पर बात करने वाला संगठन है। अपने लंबे करियर में दीपा ने एनटी-डीएनटी, आदिवासी, ग्रामीण और बहुजन समुदाय के लोगों के साथ काम किया है। उनका काम मुख्य रूप से लिंग, मेंटल और सेक्शुअल हेल्थ, स्वच्छता और संवैधानिक समझ पर केंद्रित है। पिछड़े समुदायों के साथ मिलकर वे अभियान खड़ा करने और उन्हें अपने इतिहास और विरासत पर दोबारा दावा करने में भी मदद करती हैं।




दीपा पवार के लेख


दीवार पर टंगी भारतीय संविधान की प्रस्तावना और पेटिंग_संवैधानिक ज्ञान

June 11, 2025
ज्ञान की राजनीति: संविधान और एनटी-डीएनटी समुदाय
​एकपक्षीय प्रसार के कारण संवैधानिक ज्ञान अभी भी एनटी-डीएनटी समुदायों की पहुंच से बाहर है।​
अस्थायी सार्वजनिक शौचालय_अधिसूचित जनजातियां

May 9, 2024
घुमंतू जनजातियां शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित क्यों हैं?
सामाजिक कल्याण योजनाएं बनाते हुए अक्सर खानाबदोश और अधिसूचित जनजातियों के लिए सार्वजनिक सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जाता है जिसे बदले जाने की ज़रूरत है।
एक आदमी रिक्शा चला रहा है। पीछे एक पीले रंग की दीवार पर ग्राफिटी है और न्याय लिखा हुआ है-मानसिक स्वास्थ्य

February 8, 2023
घुमंतू और विमुक्त जनजातियों के मानसिक न्याय के लिए मानसिक स्वास्थ्य ज़रूरी है
घुमंतू और विमुक्त जनजातियां भेदभाव, अन्याय और विकास योजनाओं के अभाव का सामना करती हैं। इन समुदायों के मानसिक स्वास्थ्य को इनके संघर्ष से अलग करके नहीं देखा जा सकता है।