रवीना कुंवर

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रवीना कुंवर, आईडीआर हिंदी में डिजिटल मार्केटिंग एनालिस्ट हैं। इससे पहले वे एक रिपोर्टर के तौर पर काम कर चुकी हैं जिसमें उनका काम मुख्यरूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित था। रवीना, मीडिया और कम्युनिकेशन स्टडीज़ में स्नातकोत्तर हैं।




रवीना कुंवर के लेख


संविधान की किताब_अधिकार

November 29, 2024
विकास सेक्टर में काम करने वालों के लिए प्रस्तावित मौलिक अधिकार
संविधान हमें संवैधानिक अधिकार देता है लेकिन यहां पर विकास सेक्टर के लिए जरुरी कुछ ‘सुविधानिक अधिकारों’ की बात की गई है।
दीपावली की मिठाई_दिवाली

November 1, 2024
इस दीवाली जानिए आप विकास सेक्टर की कौन सी मिठाई हैं?
दीपावली की मिठाइयों और विकास सेक्टर के तमाम तबकों के बीच की इस तुलना में तुक-तान खोजना आपका काम है।
आजादी के लिए नारे लगाते लोग_युवाओं का संघर्ष

August 16, 2024
कल के लिए लड़ाई: आज़ादी से अब तक
भले दौर अलग हों, मुद्दे अलग हों लेकिन युवा हर बार देश में विरोध की आवाज़ बनते रहे हैं।
किसानों और युवाओं का एक दृश्य_बेमौसम बारिश

August 9, 2024
कहीं धूप, कहीं छांव!
बेमौसम बारिश का जहां युवा आनंद ले रहे हैं, वहीं फसलों को नुकसान हो रहा है, युवाओं के लिए यह मौसम कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहा है।
टूटी हुई सड़क- सड़क

July 19, 2024
सड़क कब और क्यों बनती है?
सालों पुराने सवाल का जवाब, शायद ही कोई जानता है।
कुर्सी पर बैठी अनुपमा_वर्कशॉप

June 27, 2024
जब आप वर्कशॉप में जाते हैं…
कभी आप वर्कशॉप में जाते हैं और कभी आपको जाना पड़ता है, दोनों ही सूरतों में आपके मन का हाल।
पंचायत सीरीज का पोस्टर दृश्य_पंचायत सीरीज

June 14, 2024
रिपोर्ट लिखने के दौरान आने वाली कठिनाइयां
पंचायत सीरीज के नज़रिए से जानिए कि ज़मीनी कार्यकर्ताओं को किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जब रिपोर्ट लिखने की बात आती है।
हीरामंडी सीरीज का सीन_हीरामंडी

May 24, 2024
हीरामंडी के बहाने जानिए समाजसेवी संस्थाओं की भावनाएं
विकास सेक्टर में आपको हीरामंडी जितना ही ड्रामा और इमोशन मिलेगा।
दो महिलायें और एक पुरुष लैंगिक समानता पर बात करते हुए_लैंगिक समानता

May 3, 2024
चिराग तले अंधेरा
समाजसेवी संस्थाओं के उद्देश्य और उससे अलग राह जाती उनकी नीतियां।
अंबानी परिवार_सोशल सेक्टर

March 15, 2024
क्या आपका जामनगर से आई इन तस्वीरों से कोई वास्ता है… देखिए, शायद हो?
न तो जामनगर का मेहमान होना आसान बात है और ना ही सोशल सेक्टर में काम करना।