विकास सेक्टर में तमाम प्रक्रियाओं और घटनाओं को बताने के लिए एक खास तरह की शब्दावली का इस्तेमाल किया जाता है। आपने ऐसे कुछ शब्दों और उनके इस्तेमाल को लेकर असमंजस का सामना भी किया होगा। इसी असमंजस को दूर करने के लिए हम एक ऑडियो सीरीज ‘सरल–कोश’ लेकर आए हैं, जिसमें हम आपके इस्तेमाल में आने वाले कुछ महत्वपूर्ण शब्दों पर बात करने वाले हैं।
सरल कोश में इस बार का शब्द है चाइल्ड राइट्स या बाल अधिकार।
बच्चों के हित के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र संस्था यूनिसेफ़ ने बच्चों के लिए कुछ अधिकार तय किए हैं। इन्हें चाइल्ड राइट्स या बाल अधिकार कहते हैं। भारतीय संविधान के मूल अधिकारों में भी इन्हें शामिल किया गया है। किसी बच्चे की उम्र, जाति, लिंग, वर्ग आदि से परे ये अधिकार हर बच्चे के पास होते हैं।
अक्सर बाल अधिकारों को केवल शोषण या बाल-मजदूरी से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन विकास सेक्टर में बच्चों से जुड़े हुए काम करते हुए आपके लिए इन पर एक ठोस समझ बनाना बहुत जरूरी है। यही नहीं, आप शिक्षा, पोषण से लेकर मानसिक स्वास्थ्य तक बच्चों से जुड़े, किसी भी तरह के कार्यक्रम के तहत उन्हें इन अधिकारों की जानकारी दे सकते हैं। यह उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाने में मददगार साबित होता है।
बाल अधिकारों को थोड़ा विस्तार से समझें तो यह हर बच्चे को जीवित रहने, शिक्षा और स्वास्थ्य हासिल करने के साथ ही समाज में अपनी पहचान बनाने का अधिकार देते हैं। इसमें बच्चों को सुरक्षित रखने, उन्हें सही भरण-पोषण दिए जाने और उनकी सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने पर सबसे अधिक जोर दिया जाता है। इसे अंग्रेजी में प्रोटेक्शन, प्रोविजन और पार्टिसिपेशन कहा जाता है।
अगर आप इस सीरीज में किसी अन्य शब्द को और सरलता से समझना चाहते हैं तो हमें यूट्यूब के कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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