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आप एक बड़ी मुस्कान और आत्मविश्वास के साथ फंडर से हाथ मिलाते हैं (लेकिन अंदर से आप बहुत घबराए हुए हैं)।
सिद्धू: कमजोर दिल वाले इस मैच को ना देखें।
2
जब हर कोई चाय का इंतजार कर रहा होता है, तब आपका सीईओ फंडर की तारीफ के पुल बांध देता है।
सिद्धू: एक के बाद एक, ये लाएं हैं तौहफ़े अनेक।
3
आप ये बात शुरू करने के लिए सही मौका ढूंढ रहे हैं कि इस साल के लिए आपके संगठन के लक्ष्य इस फाउंडेशन के साथ कैसे पूरी तरह मेल खाते हैं।
सिद्धू: पिछले पैर पर रहते हैं और सही मौके का इंतज़ार करते हैं।
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प्रेजेंटेशन के अंत में कमरे में मौजूद सभी लोगों को एहसास होता है कि जिस अनुदान के लिए आप आए हैं, वह आपके संगठन की ज़रूरतों को बस नाम के लिए ही पूरा करेगा।
सिद्धू: आसमान फटेगा तो दर्जी कहां तक सीएगा?
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लेकिन आपके पास अपने कार्यक्रम के प्रभाव और समुदाय द्वारा उसके समर्थन से जुड़ी ढेरों कहानियां हैं। निश्चित ही वो काम करेंगी?
सिद्धू: ऐसी आग के सामने तो लोहा भी पिघल जाता है।
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हालांकि फाउंडेशन टीम में से किसी ने भी अभी तक कोई सकारात्मक शब्द नहीं कहा है, लेकिन फिर भी आपको लगता है कि सबका समर्थन मिल जाएगा।
सिद्धू: हार के जबड़े से हाथ डालकर निकाल लाये वर्ल्ड कप।
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फाउंडेशन के प्रमुख आपसे हाथ मिलाते हुए कहते हैं कि अनुदान आ जाएगा, और अगले सप्ताह कागजी कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
सिद्धू: है अंधेरा बहुत, अब सूरज निकलना चाहिए। जैसे भी हो, मौसम बदलना चाहिए।
इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ें।
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