जब शब्द नहीं होते हैं तो बनाने पड़ते हैं! निरंतर पॉडकास्ट के सीरीज ‘एकल इन द सिटी’ में हम शहरों और गांवों की कई एकल आवाज़ों से आपकी मुलाकात करवाते रहे हैं। इस बार एपिसोड 4 में एक आवाज नहीं बल्कि मिलिए मराठवाड़ा, महाराष्ट्र के एकल महिला संगठन से। मतलब, एकल महिलाओं का समूह!
इसका क्या मतलब है? क्या होता है जब एकल, समूह में बदलता है?
एकजुटता, बहनापा और बदलाव की धरातल तैयार होती है, जिसकी जमीन पर खड़े काम, आराम, दोस्ती, ज्ञान, समाधान, अस्तित्व, बंधुता, और अधिकार को समझने और सामूहिक रूप से देखने का नजरिया मिलता है, उसकी पहचान और ताकत विकसित होती है।
‘एकल इन द सिटी’ के एपिसोड 4 में हम आपकी मुलाकात करवा रहे हैं, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके के बीड, नांदेड, तुलजापुर, ओसमानाबाद, शिरगापुर, काईजी और अंबाजोगाई की एकल महिलाओं से जिन्होंने हमें संगठित रूप से जीने एवं खुद के लिए खड़े होने की कहानियों से मोह लिया।
इस एपिसोड को संभव बनाने के लिए हम एकल महिला संगठन की महिलाओं का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं जिन्होंने खुलकर हमसे बात की। साथ ही मुम्बई स्थित कोरो संस्था का आभार जिन्होंने संगठन की महिलाओं से हमारी पहचान करवाई। भाषा कोई बाधा न बन सके इसलिए सरल एवं सटीक अनुवाद के लिए अनुवादक विद्या का शुक्रिया। इसके साथ ही सम्पदा का बहुत आभार जिन्होंने अपनी आवाज में मराठी फिल्म ‘केशव’ के गानों को हिन्दी में गाकर पूरे एपिसोड को बांध लिया है। यह सच में एक सामूहिक प्रस्तुति है।
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