1. फील्ड वर्कर
धैर्य बनाए रखना और किसी को बताये बिना समस्या सुलझाना।

2. कम्युनिटी मोबिलाइजर
हर हफ्ते नई ट्रेनिंग…पहले ‘सशक्तिकरण’, फिर ‘री-सशक्तिकरण’, फिर ‘ट्रांस-फॉर्मेटिव सशक्तिकरण’। कभी-कभी लगता है, कम्युनिटी से ज्यादा हम ही सशक्त हो रहे हैं।

3. प्रोग्राम मैनेजर
स्टेकहोल्डर एंगेजमेंट, मल्टी-लेवल एप्रोच, ट्रांसफॉर्मेशनल अप्रोच…और इसके बाद एक और पीपीटी जिससे डोनर खुश है, भले ही टीम कन्फ्यूज हो।

4. अकाउंटस ऑफिसर
फील्ड से रसीदें जमा करना, मैनेजमेंट को संतुष्ट करना और फिर भी बजट बचा हो तो एक और ट्रेनिंग का सुझाव देना। कुल मिलाकर आप रसीद और पर्चियों में ही फंसे रहते हो।

5. फाउंडर/डायरेक्टर
हमारी कैपेसिटी मीटिंग में बनती है, फील्ड में नहीं।

6. फंडर
जब फील्ड में कोई मुद्दा हो, डाटा कम मिले, आउटपुट घटे या टीम सवाल पूछे तो केवल एक ही समाधान – कैपेसिटी बिल्डिंग करवा दो।





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