July 25, 2025

अब संस्थाओं का असर सिर्फ महसूस किया जाएगा, देखा नहीं जा सकेगा!

क्या हो अगर संस्थाएं अपना काम तो करें, पर बता न सकें? हो सकता है कि रिपोर्टिंग, मॉनिटरिंग और फंडिंग, सब कुछ भावना​​​ओं से ही समझना पड़े​​। ​
3 मिनट लंबा लेख

1. संस्था का ​​​अंदरूनी​​ आ​​कलन  
एक सीईओ पूछता है, "तो इस साल हमारे काम का क्या नतीजा रहा?" डायरेक्टर जवाब देता है, "काफी कुछ! पर अभी हम खुद भी नहीं बता सकते कि क्या किया"_डेटा नियंत्रण

​​2. संस्था के कर्म​​​चारियों​​ पर असर​ 

एक विभाग "मस्ती और एंटरटेनमेंट" के नाम पर रिपोर्ट और डेटा कलेक्शन को जलाकर मज़ा ले रहा है, और कोई व्यक्ति पिछले साल की फाइलें और जोड़कर दे रहा है_डेटा नियंत्रण

3. ​​सीईओ और फंडर की बातचीत​ 

सीईओ बिना डेटा के काम दिखा रहा है, और फंडर परेशान होकर ज्योतिषी से कुंडली पूछने की बात कर रहा है।_डेटा नियंत्रण

4. ​समुदाय जागरूकता कार्यक्रम​​ 

समुदाय के लोग नाराज़ हैं, और वक्ता मंच से कह रहा है, "आपको बहुत कुछ मिल चुका है, बस याद नहीं है"_डेटा नियंत्रण

5. ​सोशल मीडिया टीम

संस्था की सोशल मीडिया पोस्ट ज़मीन पर बदलाव का दावा कर रही है, और यूज़र कमेंट कर रहा है – "क्या सबूत है?" जवाब में लिखा है – "बस, महसूस करिए।"_डेटा नियंत्रण
लेखक के बारे में
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राकेश स्वामी

राकेश स्वामी आईडीआर में सह-संपादकीय भूमिका मे हैं। वह राजस्थान से जुड़े लेखन सामग्री पर जोर देते हैं। राकेश के पास राजस्थान सरकार के नेतृत्व मे समुदाय के साथ कार्य करने का एवं अकाउंटेबलिटी इनिशिएटिव, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च मे लेखन एवं क्षमता निर्माण का भी अनुभव है। राकेश ने आरटीयू यूनिवर्सिटी, कोटा से सिविल अभियांत्रिकी में स्नातक किया है।

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इंद्रेश शर्मा

इंद्रेश शर्मा आईडीआर हिंदी में पार्टनरशिप और आउटरीच हेड हैं। वे संगठन की पहुंच बढ़ाने और असरदार साझेदारी बनाने के लिए विकास सेक्टर से जुड़े विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम करते हैं। इन्द्रेश संस्थागत सहयोग को मजबूत करने के साथ-साथ जमीनी संगठनों के लिए कैपेसिटी बिल्डिंग से जुड़े लेखन में भी सक्रिय रूप से योगदान देते हैं। उनके पास विकास सेक्टर में 13 वर्षों से अधिक का पेशेवर अनुभव है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता, ग्रामीण विकास और पंचायती राज जैसे क्षेत्रों में काम किया है। इससे पहले वे सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च संस्था से जुड़े थे, जहां वे रिसर्च, कार्यक्रम निर्माण और प्रशिक्षण के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं।

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